अपने जुनून और पिता के संकल्प से जूनियर विश्व चैंपियनशिप का विजेता बना ये खिलाड़ी
अपने जुनून और पिता के संकल्प से जूनियर विश्व चैंपियनशिप का विजेता बना ये खिलाड़ी
Share:

इंडिया के शंकर मुथुस्वामी ने भले ही विश्व जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता हो लेकिन इस किशोर खिलाड़ी का इस बारें में बोलना है कि जब उन्होंने सत्र की शुरुआत की थी तब यह टूर्नामेंट उनकी प्राथमिकताओं की सूची में बहुत ऊपर नहीं था। कोरोना महामारी की वजह से इस प्रतिष्ठित जूनियर प्रतियोगिता को दो बार रद्द करना पड़ा था लेकिन रविवार को तमिलनाडु के 18 साल के शंकर ने इस टूर्नामेंट में मेडल जीत लिया। अगस्त में वर्ल्ड जूनियर नंबर एक बनने वाले शंकर ने स्पेन के सेनटेंडर से मीडिया से बोला है,‘‘शुरुआत में मैं विश्व चैंपियनशिप के बारे में नहीं सोच रहा था क्योंकि यह दो साल से नहीं हुई थी और मुझे यकीन नहीं था कि इस बार भी यह टूर्नामेंट होगा या नहीं। मैं अपनी सीनियर प्रतियोगिताओं को लेकर व्यस्त था।'' उन्होंने  अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि, ‘‘जब चयन ट्रायल हुआ तो मैंने उसमें भाग लिया और मैंने सोचा कि जब मैं टीम में जगह बनाऊंगा तो कुछ खास करने का प्रयास करूंगा। लेकिन मैंने इस टूर्नामेंट के लिए विशेष रूप से ट्रेनिंग नहीं ली थी। बीते पांच सप्ताहों से मैं सीनियर प्रतियोगिताओं में व्यस्त रहा हूं लेकिन मुझे खुशी है कि मैं विश्व चैंपियनशिप पदक के साथ अपने जूनियर दिनों का अंत कर सका।'' 

अंडर-13, अंडर-15, अंडर-17 और अंडर-19 स्तर पर राष्ट्रीय चैंपियन रहे शंकर ने बीते सप्ताह कुछ शीर्ष खिलाड़ियों को मात दी लेकिन फाइनल में उन्हें चीनी ताइपे के कुओ कुआन लिन के विरुद्ध शिकस्त के साथ सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ गया। शंकर के लिए इन सब चीजों की शुरुआत तब हुई जब उनके पिता ने उन्हें खेलों में शामिल हो चुका है। शुरुआत में उन्होंने कुछ माह टेनिस खेला लेकिन फिर गर्मी की छुट्टियों के बीच बैडमिंटन खेलना भी शुरू कर दिया। जल्द ही वह चेन्नई के अन्नानगर में फायरबॉल अकादमी में अरविंदन समियप्पन से मार्गदर्शन में ट्रेनिंग लेने लगे जो उनके लंबे वक़्त से कोच हैं। शंकर के पिता सुब्रमण्यम ने उन्हें कम उम्र में स्कूली शिक्षा छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें अधिक आयु वर्ग और सीनियर सर्किट में खेलने के लिए प्रेरित किया। 

शंकर ने इस बारें में बोला है कि, ‘‘मेरे पिता ने कुछ साहसिक निर्णय लिए हैं इसमें से एक पारंपरिक स्कूली शिक्षा छोड़ना और खेल में पूर्णकालिक जाना था। अब यह सामान्य लग जाता है लेकिन 7 -8  वर्ष पूर्व जब मैं 8वीं कक्षा में था तब उनका यह निर्णय वक़्त  से काफी आगे का था।'' उन्होंने बोला है कि ‘‘दूसरी बात यह है कि मैं पिछले तीन साल से सीनियर सर्किट में खेल रहा हूं। मैंने सीनियर प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन करना शुरू कर चुके है, अब मैं 110 वें (विश्व रैंकिंग में) स्थान पर हूं।'' ईरान जूनियर इंटरनेशनल 2022 चैंपियन ने बोला है कि, ‘‘मैं कुछ अनुभवी खिलाड़ियों के साथ खेला और सीनियर सर्किट में खेलने से मुझे अपने खेल में सुधार करने में मदद मिली। यह भी एक कारण है कि मैं यहां अच्छा प्रदर्शन कर सका।'' 

ऑगर-एलियासेम ने स्विस इंडोर का खिताब किया अपने नाम

VVS को कैसे मिला 'very very special laxman' नाम ?

सूर्या के मुरीद हुए पाकिस्तानी, मिस्बाह और शोएब मलिक ने बांधे तारीफों के पुल

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -