मलमास में कमला एकादशी व्रत क्यों की जाती है शिव की आराधना
मलमास में कमला एकादशी व्रत क्यों की जाती है शिव की आराधना
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जिस चंद्र मास में सूर्य संक्रान्ति नहीं होती है, उस मास मलमास या अधिमास या पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. वैसे तो मलमास विष्णु भगवन को समर्पित मास है पर इस मास में  भगवान शंकर की उपासना करने का विशेष विधि-विधान है साथ ही इसका विशेष फल भी प्राप्त होता है. चूँकि भगवन शंकर को भोला कहा जाता है तो इस मास अवधि में भगवान शंकर के अशिव रूप की वंदना करने की परम्परा है.

ऐसी मान्यता है कि इस माह में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है पर भगवान शंकर बुरे में भी अपने भक्तो की भक्ति को स्वीकार करते है, इसलिए इस समय में उनकी विशेषरूप से पूजा अर्चना करने को महत्त्व दिया जाता हैं. वैसे तो भगवान शंकर सरे देवताओं में ऐसे देव है जो हर तरह की पूजा और बलि को स्वीकार करते है परन्तु तीन साल बाद आने वाले इस अधिकमास के संयोग में शिवलिंग पर जल, बेल-पत्र, धतूरा और पुष्प चढ़ाने का विशेष महत्व बताया गया है.

मलमास की एकादशी तिथि को पद्मिनी एकादशी व्रत या पुरूषोत्तम मास (अधिकमास) की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पद्मिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, इसे कमला या पुरूषोत्तमी एकादशी भी कहा जाता है. इस एकादशी के दिन व्रत कर राधा-कृष्ण और शिव-पार्वती का पूजन करने का विधि-विधान है. यह एकादशी प्रत्येक वर्ष न आने के कारण विशेष महत्व रखती है और रात्रि जागरण का भी विशेष महत्त्व होता है. 

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