कब होगा दुष्कर्मी दशाननों का दहन
कब होगा दुष्कर्मी दशाननों का दहन
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आज दशहरा है, हर साल की तरह इस साल भी पूरे देश में बुराई के प्रतीक रावण का दहन किया जाएगा. यह तो पता ही है कि त्रेता युग में रावण द्वारा माता सीता का अपहरण किये जाने के कारण ही बाद में राम -रावण युद्ध हुआ जिसमें भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था. तभी से विजयादशमी मनाए जाने की परम्परा जारी है. 

उल्लेखनीय है कि रावण के अंत की शुरुआत माता सीता के अपहरण से शुरू हुई थी. लेकिन यहां यह बात ध्यान देने योग्य है कि रावण ने सीताजी का अपहरण करने के बाद भी अपनी मर्यादा का पालन किया था. सीता जी को अशोक वाटिका में रखकर उन्हें स्पर्श करने की भी कोशिश नहीं की.

यदि वर्तमान संदर्भों में देखें तो युग बदलने के बाद भी मानव की सोच में अंतर नहीं आया है. आज भी कई आधुनिक रावण (बदमाश) महिलाओं का अपहरण कर उनके साथ दुष्कर्म करते हैं. ऐसी खबरों की निरंतरता बनी हुई है. निर्भया कांड के बाद लगा था, कि ऐसी घटनाओं पर रोक लगेगी और दोषी दुष्कर्मी दशाननों को त्वरित दंड मिलेगा .

लेकिन वर्तमान कानून में बचने के लिए धाराओं की इतनी सुरंगें हैं, कि कई वास्तविक अपराधी भी सबूत के अभाव में बच निकलते हैं. हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि मासूम नन्हीं बच्चियां भी सुरक्षित नहीं रही. कथित बाबाओं ने आस्था पर हमला किया है. पिता द्वारा पुत्री से और निकटतम रिश्तेदारों द्वारा की जाने वाली दुष्कर्म की घटनाएं सामाजिक पतन की कहानी खुद बयां कर रही है.

आज इस दशहरे पर यही विचार आ रहा है कि सामाजिक जाग्रति का आखिर वह दिन कब आएगा जब दुष्कर्मी दशानन  दशहरे पर सार्वजनिक रूप से पुतलों के बजाय सजीव रूप से जलेंगे. तभी पीड़ित पक्ष को न्याय मिलेगा और इस सामाजिक बुराई का अंत होगा.

जानें सही मायनें में रावण का दहन 

रावण के पुतलों पर भी पड़ी जीएसटी की मार

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