जिस अडानी-हिंडनबर्ग मामले पर इतना हल्ला मचा, उसकी जांच के बाद क्या बोली सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमिटी ?
जिस अडानी-हिंडनबर्ग मामले पर इतना हल्ला मचा, उसकी जांच के बाद क्या बोली सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमिटी ?
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नई दिल्ली: अडानी-हिंडनबर्ग मामले में सर्वोच्च न्यायालय की एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट अब सार्वजनिक हो गई है। सुप्रीम कोर्ट एक्सपर्ट कमिटी की उस रिपोर्ट में कहा गया है कि पहली नजर में अडानी समूह द्वारा नियमों का कोई उल्लंघन नहीं किया गया है। अभी तक इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने को लेकर एक्सपर्ट कमेटी की ओर से कोई बयान जारी नहीं किया गया है, मगर इस एक खुलासे को गौतम अडानी के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।

 

बता दें कि 24 जनवरी 2023 को अमेरिका की शार्ट सेलर फर्म (शेयरों की कीमत गिराकर मुनाफा कमाने वाली कंपनी) हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट में 88 सवाल भी शामिल थे। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अडानी ग्रुप दशकों से शेयरों के हेरफेर और अकाउंट की धोखाधड़ी में शामिल है। उस एक रिपोर्ट के सामने आने के बाद ही अडानी के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई थी और कुछ दिनों के भीतर में ही गौतम अडानी के करोड़ों रुपए स्वाहा हो गए थे। बड़ी बात ये रही इस मुद्दे ने विपक्षी दलों का  ध्यान भी खींचा था और देखते ही देखते इस पर जमकर राजनीति भी हुई थी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तो इसे सीधे पीएम नरेंद्र मोदी से जोड़ दिया था और आरोप लगाया था कि, पीएम मोदी ने नियम तोड़ते हुए अडानी को फायदा पहुँचाया है और अडानी की कंपनी में मोदी के पैसे लगे हैं। 

इसी गहमागहमी के बीच ये मामला सर्वोच्च न्यायालय में भी गया था। असल में हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई। PIL में हिंडनबर्ग के संस्थापक नाथन एंडरसन के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की गई। उसके बाद ही सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हिंडनबर्ग के आरोपों की जांच करने के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया गया, जिसकी रिपोर्ट का कहना है कि पहली नजर में कोई नियमों का उल्लंघन नहीं हुआ है।

गौतम अडानी को कितना नुकसान हुआ?

बता दें कि, अभी तक रिपोर्ट में हुए खुलासे को लेकर कोई अधिक जानकारी सामने नहीं आई है, मगर शुरुआती दावे ही बता रहे हैं कि इस मामले में अडानी ग्रुप को बड़ी राहत मिल सकती है। यहां ये समझना भी आवश्यक है कि हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट ने गौतन अडानी को बड़ा नकुसान पहुँचाया था। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि सितंबर 2022 तक गौतम अडानी की नेट वर्थ 150 अरब डॉलर तक हो गई थी। उस वक़्त विश्व के सबसे दौलतमंद लोगों वाली सूची में वे दूसरे पायदान पर पहुंच गए थे। मगर, हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट के बाद हो हल्ला मचा, उससे निवेशकों का भी भरोसा डगमगा गया और अडानी समूह के शेयरों में बिकवाली हावी होने लगी, जिसका परिणाम यह हुआ कि गौतम अडानी अमीरों की टॉप 20 वाली सूची से भी बाहर चल रहे हैं। 

वहीं, एक बड़ा सवाल यह भी है कि, यदि अडानी ग्रुप पर लगाए गए आरोप झूठे पाए जाते हैं, तो इस मुद्दे पर गए हंगामे के चलते निवेशकों के भी जो करोड़ों रुपए डूबे हैं, उनकी भरपाई कहाँ से होगी। क्या हिंडनबर्ग पर केस चलेगा या उन लोगों पर जिन्होंने भारत में हिंडनबर्ग का हव्वा बनाया, क्योंकि उस अमेरिकी कंपनी को भारत में तो कोई जानता भी नहीं था। हिंडनबर्ग ने तो शार्ट सेल करके अपना मुनाफा कमा लिया, लेकिन जिन भारतीय निवेशकों के पैसे इस सियासी और बाज़ारी दावपेंच में डूबे हैं, उनका क्या होगा ?

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