'हम बांग्लादेशी मजदूरों के लिए डंपिंग ग्राउंड नहीं बनना चाहते..', इस इस्लामी मुल्क ने जताई चिंता
'हम बांग्लादेशी मजदूरों के लिए डंपिंग ग्राउंड नहीं बनना चाहते..', इस इस्लामी मुल्क ने जताई चिंता
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कुआलालम्पुर: विश्व का छठा सबसे रईस इस्लामी मुल्क मलेशिया अपने यहाँ बांग्लादेशी मजदूरों की तादाद बढ़ने को लेकर चिंतित है। बता दें कि बांग्लादेश का आधिकारिक धर्म भी इस्लाम ही है। बांग्लादेश ने श्रमिकों को बाहर भेजने वाले एजेंसियों की तादाद बढ़ा कर 2000 कर दी है, जिस पर मलेशिया के मानव संसाधन मंत्री एम सरवनम ने चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि मलेशिया इसके बाद बांग्लादेश के श्रमिकों के लिए एक डम्पिंग ग्राउंड (कचरा फेलने की जगह) न बन जाए।

उन्होंने ‘फ्री मलेशिया टुडे’ से बात करते हुए कहा कि बांग्लादेश को इतनी बड़ी तादाद में मजदूरों को मलेशिया भेजने की अनुमति नहीं दी जा सकती। बांग्लादेश से फ़िलहाल केवल 10 एजेंसियों को मजदूरों को मलेशिया लाने की अनुमति है, जिसे अब 20 गुना बढ़ाने के लिए बांग्लादेश ने मलेशिया सरकार से अपील की है। श्रमिकों की भर्ती के लिए दोनों देशों के बीच एक करार (MoU) पर तक़रीबन एक साल से विचार-विमर्श का दौर जारी है।

बांग्लादेश के मानव संसाधन मंत्री ने कहा कि ताज़ा फैसले पर उन्होंने आपत्ति जाहिर की है। उन्होंने कहा कि इससे पहले 10 कंपनियों को ही बांग्लादेश से श्रमिक लाने की अनुमति थी, इसे बढ़ाया जाना था, लेकिन इतना नहीं। उन्होंने कहा कि फाइनल ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है और अब इसे कैबिनेट में रखा जाएगा। अगले दो सप्ताह में अंतिम फैसला होगा। मलेशिया ने जबरन मजदूरी के खिलाफ बने अंतरराष्ट्रीय नियम-कानून के अंतर्गत भी आने का फैसला लिया है।

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