नईदिल्ली। अक्सर आप आकर्षक विज्ञापन के फेर में, आकर धोखा खा जाते होंगे। कई बार, ऐसा होता होगा कि, आप मोटापे से परेशान हों और आपको, दवाईयों के विज्ञापन को देखकर, इनकी खरीद करने का मन होता होगा और आप इसे खरीद भी लेते होंगे मगर, बाद में आपको जानकारी मिलती होगी कि, आप ठगा गए हैं लेकिन, इस तरह के विज्ञापनों से केवल आप ही ठगा हुआ अनुभव नहीं करते हैं बल्कि, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू भी धोखाधड़ी का सामना कर चुके हैं। वे मिलावटी सामान और भ्रामक विज्ञापनों को लेकर किए, जाने वाले सवालों को लेकर चर्चा कर रहे थे।
राज्यसभा में यह मामला, एसपी नेता नरेश अग्रवाल ने उठाया। उन्होंने यह भी कहा कि, इस मामले में 1986 का नियम अधिक प्रभावी नज़र नहीं आता है। जो नया कानून है वह फिलहाल पारित नहीं हुआ है। जब राज्यसभा में उपराष्ट्रपति नायडू ने इस तरह की बातें कहीं तो सभी आश्चर्यचकित रह गए।
उन्होंने कहा कि, जब उपराष्ट्रपति बनने के बाद, मैंने वजन कम करने के बारे में जानकारी प्राप्त की तो मैंने, एक कंपनी का विज्ञापन देखा। इस विज्ञापन में यह दर्शाया गया था कि, दवाई के माध्यम से बेहद कम समय में ही वजन घटाने की जानकारी दी गई थी। जब इसके लिए मैंने 1000 रूपए कंपनी को दे दिए तो भी, कंपनी ने दवाई नहीं दी। तब, मैंने रूपए लौटाने को लेकर, कंपनी से चर्चा की। मगर मुझे राशि नहीं मिली। ऐसे में, उपभोक्ता मंत्रालय में शिकायत की गई।
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