लखनऊ : श्रीमद भागवत गीता के बाद अब लोग हनुमान चालीसा को भी ऊर्दू में पढ़ सकेंगे। उत्तर प्रदेश के जौनपुर निवासी मुस्लिम युवक आबिद ने हनुमान चालीसा का ऊर्दू अनुवाद किया है। आबिद ने बताया की उसने हनुमान चालीसा का 'मुसद्दस' शैली में अनुवाद किया है। 'मुसद्दस' में 3 शेर और 6 लाइन होती हैं। जबकि चौपाई में 4 लाइन होती हैं। आबिद अल्वी का कहना है कि हनुमान चालीसा के अनुवाद के बाद अब वह शिव चालीसा के ऊर्दू अनुवाद की तैयारी में जुटा है।
आबिद ने बताया की हनुमान चालीसा का हिंदी से ऊर्दू अनुवाद में 3 महीने का समय लगा। आबिद का मानना है कि उसके इस काम से दोनों धर्म के लोगो को एक दूसरे की धर्म संस्कृति और विश्वास को समझने में आसानी होगी। इस ऊर्दू अनुवाद में कुल 15 बंद हैं और प्रत्येक में 6 लाइने हैं। आबिद ने बताया की वह हमेशा से चाहता था कि दोनों समुदाय के लोग एक दूसरे की परंपराओं और संस्कृति से वाकीफ हो।
आबिद के मुताबिक, इसी तरह ऊर्दू किताबों का भी हिंदी में अनुवाद होना चाहिए। किताबों के एक दूसरे की भाषा में अनुवाद से दोनों समुदाओं में प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा मिलेगा। भाईचारे ओर एकता के उद्देश्य से आबिद के द्वारा किया गया प्रयास वाकई मे सराहनीय है।