महिला बाल विकास विभाग के संयुक्त मोर्चा संघ द्वारा विभाग को दिया गया अल्टीमेटम, जानिए क्यों?
महिला बाल विकास विभाग के संयुक्त मोर्चा संघ द्वारा विभाग को दिया गया अल्टीमेटम, जानिए क्यों?
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इंदौर: मध्य प्रदेश में 2 मार्च से 14 मार्च तक महिला बाल विकास विभाग के मैदानी अमले परियोजना अफसर एवं पर्यवेक्षकों ने चरणबध्य आंदोलन करने एव 15 मार्च से अनिश्चितकालीन अवकाश पर जाने का अल्टीमेटम विभाग को दिया है। प्रदेश अध्यक्ष इंद्रभूषण तिवारी ने कहा कि वेतन विसंगति की मांग 30 वर्षों से लंबित है, इसके साथ ही अफसरों को पदनाम सहित टाइम स्केल देने, पर्यवेक्षकों को 4 प्रोन्नति दिए जाने, संविदा पर्यवेक्षको को नियमित करने, विकास खंड महिला अधिकारियों को परियोजना अधिकारियों के पद पर मर्ज करने एव वापस लिए गए आहरण संवितरण अधिकार पुनः दिये जाने की मांग संयुक्त मोर्चा संघ द्वारा विगत लंबे समय से की जा रही है किन्तु विभाग द्वारा  निराकरण हेतु कोई भी सकारात्मक प्रयास नहीं किया गया है।

वही पिछले 2 वर्ष से माननीय मुख्यमंत्री जी महिला बाल विकास विभाग के मंत्री हैं, उनसे मुलाकात के लिए प्रयास किए गए लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा संघ के प्रतिनिधिमंडल को मुलाकात का समय नहीं दिया गया। जिससे संयुक्त मोर्चा संघ के सदस्यों में बेहद निराशा है, इससे व्यथित होकर  संघ ने चरणबद्ध आंदोलन करने का अल्टीमेटम विभाग को भेजा हुआ है। इसके क्रम में 2 मार्च को पूरे राज्य में कलेक्टर एवम कमिश्नर को ज्ञापन सौंपा जाएगा, 3 मार्च को पूरे प्रदेश के पर्यवेक्षक एवं परियोजना अधिकारी,प्रशासक वन स्टाप, खंड ससक्तिकरन अधिकारी एक दिन के सामूहिक अवकाश पर रहेंगे और अपनी मांगों के संबंध में माननीय मुख्यमंत्री जी को पोस्टकार्ड भेजेंगे। 5 मार्च को लाडली लक्ष्मी योजना के शुभारंभ अवसर पर जो भी जनप्रतिनिधि रहेंगे उनको रक्षा सूत्र बांधकर अपनी मांगे पूरी करने का निवेदन करेंगे। 6 मार्च से 10 मार्च के बीच में राज्य के सभी विधायकों, सांसदों, मंत्रियों को लाल गुलाब का फूल देकर ज्ञपन दिया जावेगा।

संघ के प्रदेश अध्यक्ष इंद्रभूषण तिवारी द्वारा बताया गया कि अगस्त 2018 से ग्रेड पे बढ़ाने की फ़ाइल शासन के समक्ष लंबित है। वर्तमान में राज्य के अफसरों एवं पर्यवेक्षको को देश में सबसे कम वेतन दिया जा रहा है, जबकि सबसे अधिक काम विभाग के अधिकारियों द्वारा किया जाता है। तिवारी द्वारा बताया गया कि महाराष्ट्र ,उत्तर प्रदेश, बिहार,हरियाणा और झारखंड में 5400 ग्रेड पे है, इसके साथ ही छत्तीसगढ़ जो हमसे टूटकर बाद में अलग हुआ वहां भी 4300 ग्रेड पे है लेकिन हमारे यहां 3600 रुपये  अपमानजनक ग्रेड पे दी जा रही है जिसपर शासन द्वारा कोई ध्यान नहीं है। इसी तरह विभाग ने व्यापमं परीक्षाओं के द्वारा संविदा पर्यवेक्षकों को नियुक्त किया गया अब उनको दोबारा परीक्षा देने के लिए बाध्य किया जा रहा है जबकि शिक्षा विभाग एवं जन शिक्षा अभियान में ऐसे अनेक व्यक्तियों को नियमित किया गया है जिनमें कोई भी परीक्षा नहीं दी थी ,तो हमारे यहां संविदा पर्यवेक्षक व्यापम परीक्षा पास करके लगातार 10 साल से सेवा दे रहे हैं, पद भी खाली हैं तो उन्हें नियमित किया जावे। पर्यवेक्षक संघ की प्रदेश अध्यक्ष अंजू कोर्पे ने बताया कि 14 मार्च को सभी जिलों में संघ की बैठक होगी एवं 15 मार्च से सभी अनिश्चिकालीन सामूहिक अवकाश पर जाएंगे। उन्होंने बताया कि अप्रैल 2018 में माननीय महिला बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस द्वारा परियोजना अफसर को ग्रेड पे 3600 से बढ़ाकर ₹4800 करने एवं पर्यवेक्षकों की ग्रेड पे 2400 रूपये से बढ़ाकर 3600 रूपये करने का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा था, तब से यह प्रस्ताव लंबित है, निरंतर संपर्क करने पर प्रयास करने पर भी उसने कोई प्रोग्रेस नहीं हुई है। अंजू  प्रदेश अध्यक्ष पर्यवेक्षक संघ द्वारा बताया गया कि बीते वर्ष 20 मार्च से 25 मार्च तक ही संयुक्त मोर्चा द्वारा 5 दिन की हड़ताल की गई थी, विभाग ने लिखित में आश्वासन दिया था कि मांगे अतिशीघ्र पूरी करवाई जाएंगी किन्तु आज तक पूरी नहीं कराई गई जिससे सभी सदस्यों में बेहद निराशा एवं कुंठा है यह कदम उठाया गया है।

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