नई दिल्ली : ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में भारत की जरूरतों को पूरा करने के संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के कदम के जवाब में भारत ने यूएई की खाद्य सुरक्षा को पूरा करने में मदद करने का फैसला किया है. इसके लिए दोनों देश मिलकर भारत के लिए एक महत्वाकांक्षी ढांचा तैयार कर रहे हैं.अबू धाबी के शहजादे दौरे के बाद दोनों देश अपने नेतृत्व के इरादों को पूरा करने की कोशिशों में जुट गए हैं. इसका उद्देश्य पीएम मोदी के अगस्त 2015 में अबू धाबी दौरे पर और जनवरी 2017 में दोनों देशों के बीच हुए समझौता हस्ताक्षरों का परिणाम जानना है.
इस बारे में विदेश मंत्रालय के सचिव अमर सिन्हा ने बताया कि अपने पहले कदम के रूप में भारत 'फार्म-टू-पोर्ट' नाम के एक प्रॉजेक्ट पर काम कर रहा है. यह प्रॉजेक्ट स्पेशल इकनॉमिक जोन की तरह ही है, लेकिन इसमें कॉर्परटाइज्ड खेत होंगे. इन खेतों में यूएई के बाजारों को ध्यान में रखते हुए फसल उगाई जाएगी. इसके साथ ही इनमें बंदरगाह तक के लिए अधोसंरचना का विकास होगा. इस विचार को दोनों देशों ने मंजूर कर लिया है. इन विशेष खाद्य क्षेत्र से हुई पैदावारी पर भारत में बदलते खाद्य सुरक्षा कानून संभवत: लागू नहीं होंगे.इसकी सफलता पर कृषि उद्योग का एक नया क्षेत्र बन जाएगा.भारत और खाड़ी देश प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी कार्य कर रहा है.
अमर सिन्हा ने कहा कि इस क्षेत्र (खाड़ी देश) में उत्पादन के अवसरों के लिए हम अपने हुनर, पैसा और तकनीकी का इस्तेमाल करना और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ साझेदारी बढ़ाना चाहते हैं.इस संबंध में फैसला करने के लिए दोनों देशों की टीमों के बीच जल्द बैठक होगी. हालांकि दोनों देशों के कुछ कठोर नियमों के चलते यह काम आसान नहीं है.
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