पहली बार दिल्ली भ्रमण पर निकले भगवान तिरुपति बालाजी
पहली बार दिल्ली भ्रमण पर निकले भगवान तिरुपति बालाजी
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नई दिल्ली : दिल्ली में असहिष्णुता जैसे मुद्दों को लेकर चल रही बहस ने देश के सबसे रईस भगवान को भी अपने स्थान से उठने पर विवश कर दिया है। कहते है जब-जब पाप बढ़ता है, तब-तब भगवान स्वंय अवतरित होकर उसका समाधान करते है। इसलिए 50 हजार करोड़ संपति के मालिक आंध्र प्रदेश के भगवान तिरुपति बालाजी इन दिनों दिल्ली में शरण लिए हुए है। उनके साथ उनकी पूरी सेना भी आई है। यह पहली बार है जब वो आंध्रा से 2137 किमी की यात्रा कर दिल्ली पहुँचे है।

दिल्ली के नेहरु स्टेडियम में वैभवोत्सम मनाया जा रहा है. इसी कारण यहाँ भगवान की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई है। यह कार्यक्रम 8 नवंबर तक चलेगा, जहाँ भक्तों के बाला जी के मुफ्त में दर्शन होंगे। इस दौरान करीब 250 से ज्यादा सेवक आए है। भगवान को लगाए जाने वाले भोग की सामग्री से लेकर बनाने वाले भी वहीं से आए है।  कुल 25 ट्रकों में पूजन सामग्री से लेकर भगवान की पोशाक तक लाई गई है।

मंदिर के प्रबंधन की जिम्मेदारी उठाने वाली ट्रस्ट तिरुमला तिरुपति देवस्थानम दिल्ली में भी हर कार्य पर पैनी नजर रखे हुए है। हर दिन की पूजा बिल्कुल उसी प्रकार से हो रही है जैसे कि तिरुमला में होती थी। पूजा के लिए कुल 35 पंडितों का दल भी यहाँ आया है। फूल-माले, परदे-चादर व विशेष लड्डू व प्रसाद की सामग्री भी तिरुमला से आई है। यह पूरा आइडिया यूनियन अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्टर और स्वर्ण भारत ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी वैंकेया नायडू की बेटी दीपा वैंकेट का है।

दर्शन के साथ-सात दैनिक सेवाएं और सोमवार की विशेष पूजा से लेकर पूराभिषेकम तक सभी वारोत्सव नेहरू स्टेडियम में खुले में किए जा रहे हैं। यहां कुर्सी से लेकर जमीन पर बैठने की व्यवस्था की गई है। किसी भी दर्शन के लिए कोई शुल्क नहीं है। यहां तक कि यदि पुरुष धोती और महिलाएं साड़ी या सलवार सूट पहने हैं तो उन्हें बालाजी के बिल्कुल करीब जाने का मौका भी मिल रहा है। हर शाम को प्रांगण में ही निकलने वाली शोभायात्रा में भी सब शामिल हो सकते हैं और पालकी को श्रद्धा से छू भी सकते हैं। ऐसा तिरुपति में बिल्कुल भी संभव नहीं है।
 
भगवान बाला की मूर्ति को विशेष गरुड़ वाहन से दिल्ली लाया गया। देवस्थानम ट्रस्ट यह चाहती है कि देश की सभी राजधानी में एक-एक देवस्थानम स्थापित की जाए, ताकि सभी को भगवान के दर्शन हो सके। हांलाकि भगवान की मूल प्रतिमा तिरुमाला में ही है।

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