घर एक मंदिर होता है, लेकिन इसी मंदिर में हम एक छोटा सा मंदिर और बनाते हैं. जिसमें हम अपने आराध्य देव की छोटी-छोटी प्रतिमाएं रख हर दिन पूजा करते हैं.लेकिन क्या आप पूजा सही जगह और सही परिस्थितियों में कर रहे हैं. इस बात की जानकारी होना अति आवश्यक है.
वास्तु के इन उपायों को आजमाकर घर के मंदिर को और बेहतर बना सकते हैं.
1-भगवा की मूर्ति का मुंह पश्चिम या दक्षिण की ओर होना चाहिए.
2-बहुमंजिला भवनों में पूजाघर नीचे के मंजिल में ही होना चाहिए.
3-घर में कभी भी प्राण प्रतिष्ठित देव-प्रतिमाओं को नहीं रखना चाहिए.
4-पूजा घर में एक खिड़की एक रोशनदान अवश्य होना चाहिए.
5-पूजाघर में यदि हवन कुंड का निर्माण कर रहे हैं. तो वह चौकोर या षटकोण हो. किसी आवास में त्रिकोणीय या गोलाकार हवन कुंड नहीं होता है.
6-यदि आप पूजाघर में शुभ मंत्रों का प्रयोग करते हैं तो उन्हें प्राण प्रतिष्ठित करवाकर रखे.
7-पूजाघर का रंग हल्के नीले अथवा पीले रंग का होना श्रेष्ठ होता है. इससे ध्यान भंग नहीं होता है.