महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए थे ये खास नियम
महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए थे ये खास नियम
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महिला समानता दिवस का कनेक्शन अमेरिका में लिए गए एक ऐतिहासिक निर्णय से है जबकि दुनियाभर के कई देश इस दिन महिलाओं के अधिकारों की बात की जाती है. एक शताब्दी पहले की बात की जाए तो अमेरिका में महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था, एक लंबी लड़ाई के उपरांत 26 अगस्त 1920 को वहां के संविधान में 19वां संसोधन लागू हुआ, जब पुरुषों की तरह महिलाओं को भी मतदान का अधिकार हो चुका है. बता दें कि 26 अगस्त 1972 को तत्कालीन राष्ट्रपति ने महिला समनता दिवस (Women’s Equality Day) का एलान कर दिया गया है.

हिंदू सक्सेशन एक्ट या हिंदू उत्तराधिकार कानून (2005): यह आजाद इंडिया के इतिहास में महिलाओं के लिए लाया गया सबसे ऐतिहासिक और सबसे आवश्यक कानून है। हिंदू सक्सेशन एक्ट या हिंदू उत्तराधिकार कानून, 1956 तो पहले भी था, लेकिन उसमें लड़के और लड़की के लिए भेदभावपूर्ण रूल आए थे। उस कानून में लड़कियों का पिता की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं था। पिता की सारी संपत्ति लड़कों को मिली थी। 2005 में इस कानून में संशोधन किया गया और 9 सितंबर, 2005 में यह लागू हो चुका था।

प्रोटेक्शन ऑफ विमेन फ्रॉम डोमेस्टिक वॉयलेंस (2005): 26 अक्टूबर, 2006 को यह कानून इंडिया में लागू हुआ, जिसका उद्देश्य हर प्रकार की घरेलू हिंसा से महिलाओं की रक्षा करना जरुरी था। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे से लेकर UN और विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बार-बार हमें आगाह कर रहे थे कि इंडिया में 70 प्रतिशत महिलाएं घरों के अंदर घरेलू हिंसा की शिकार हैं और सिर्फ 10 फीसदी महिलाएं उस हिंसा की शिकायत करती हैं। इंडिया में कोई ऐसा कानून भी नहीं था, जो घरों के अंदर महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित कर सके, इसलिए 2006 में ये कानून आया।

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