देश की कुल प्रजनन दर घटी, जनसंख्या नियंत्रण में फिसड्डी रहा बिहार
देश की कुल प्रजनन दर घटी, जनसंख्या नियंत्रण में फिसड्डी रहा बिहार
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आबादी के मामले में पहले पायदान पर काबिज चीन के बाद भारत का नंबर आता है। बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाने और इस बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए सरकारें समय-समय पर कई तरह की योजनाएं चलाती रहती हैं। इन योजनाओं का असर अब प्रत्यक्ष रूप से दिखने भी लगा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण ( NFHS-5) के पांचवे दौर की रिपोर्ट में जानकारी सामने आई है कि देश की कुल प्रजनन दर 2.2 से घटकर 2.0 हो गई है। इससे इस बात के संकेत मिलते हैं कि देश में जनसंख्या नियंत्रण की कोशिशें कारगर साबित हो रही हैं और इसके उपायों को लेकर खासी प्रगति हुई है। कुल प्रजनन दर (TFR) को प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या के रूप में मापा जाता है, जो राष्ट्रीय स्तर पर NFHS-4 और 5 के बीच 2.2 से घटकर 2.0 हो गई है।

पांच राज्य रिप्लेसमेंट लेवल से ऊपर

NFHS-5 के इस सर्वेक्षण में देश के 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों के 707 जिलों के तकरीबन 6.37 लाख परिवारों से नमूने लिए गए। वहीं इस सर्वेक्षण में 7,24,115 महिलाओं और 1,01,839 पुरुषों को शामिल किया गया। अब देश में केवल पांच राज्य ही बचे हैं जो प्रजनन क्षमता के 2.1 के रिप्लेसमेंट लेवल से ऊपर हैं। इनमें बिहार (2.98), मेघालय (2.91), उत्तर प्रदेश, (2.35), झारखंड( 2.26) और मणिपुर ( 2.17) शामिल है।

गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल बढ़ा

वहीं देश में अब समग्र गर्भनिरोधक प्रसार दर (CPR) 54 फीसदी से बढ़कर 67 फीसदी हो गई है। गर्भनिरोधकों के आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल भी तकरीबन सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में बढ़ गया है। परिवार नियोजन की अधूरी जरूरतों में 13 फीसदी से 9 फीसदी की महत्त्वपूर्ण गिरावट देखी गई है।

संस्थागत जन्म में भी हुआ इजाफा

NHFS-5 ने यह भी जिक्र किया है कि भारत में संस्थागत जन्म 79 फीसदी से बढ़कर 89 फीसदी हो गया है। यहां तक कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लगभग 87 फीसदी जन्म संस्थानों में दिया जाता है और शहरी क्षेत्रों में यह 94 फीसदी है। अरुणाचल प्रदेश में संस्थागत जन्म में अधिकतम 27 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसके बाद असम, बिहार, मेघालय, छत्तीसगढ़, नागालैंड, मणिपुर, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में 10  फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ। पिछले पांच साल में 91 फीसदी से ज्यादा जिलों में 70  फीसदी से अधिक जन्म स्वास्थ्य सुविधाओं में हुए हैं।

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