नई दिल्ली: 24 मार्च को तीन साल की एक बच्ची ने तीरंदाजी में ऐसा प्रदर्शन किया कि उसका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स शमिल हो गया. इस बच्ची का नाम डॉली शिवानी चेरुकुरी है. इस रिकॉर्ड् तीरंदाजी में पांच मीटर और सात मीटर वर्ग की स्पर्धा थी, जिसमे शिवानी को 200 अंक हासिल करने थे लेकिन उसने 388 का स्कोर हासिल किया. वही शिवानी को उन दोनों दूरियों को तय करने के लिए 24 प्रयासों में 75 तीर साधने थे. इसमें हर प्रयास के लिए खिलाडी को दो मिनट मिलते है. शिवानी के कोच चंद्रशेखर लागुरी इस बात से अवगत थे कि यह उनकी शिष्य के लिए बड़ा काम नहीं है और वह यह दूरी आसानी से तय कर सकती है. क्योकि प्रैक्टिस के दौरान शिवानी 400 अंको का स्कोर बना लेती थी.
इन सबके बीच सबसे चौकाने वाली बात यह है कि शिवानी इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में तीरंदाज़ी में 388 प्वाइंट बनाने वाली सबसे छोटी खिलाडी है. जिस उम्र में बच्चे को यह नहीं पता होता कि उसे भविष्य में क्या करना है. ऐसे में पूरे देश को उस बच्ची को उम्मीद है कि वो अपनी तीरंदाजी से पूरे देश को गौरान्वित करेगी. कोच ने बताया कि शिवानी प्रैक्टिस के दौरान अपना धनुष, स्टैंड और दूसरी चीजें स्वयं उठाती और काफी गंभीरता से लेती है.
शिवानी आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा स्थित वोल्गा आर्चरी एकेडमी में तीरंदाजी की प्रैक्टिस करती है. इस एकेडमी के चेयरमैन सिवनी के पिता चेरुकुरी सत्यनारायण हैं. इनका बेटा अंतर्राष्ट्रीय तीरंदाज चेरुकुरी लेनिन था, जिनका 2010 में दिल्ली में हुए राष्ट्रकुल खेलों के बाद एक दुर्घटना में देहांत हो गया था, उसके बाद 2004 में उनकी बेटी का भी निधन को चूका है, वही 2 अप्रैल 2012 को चेरुकुरी सत्यनारायण के घर में शिवानी ने जन्म लिया. इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने अपनी बेटी का नाम शामिल हो जाने पर सूर्य नारायण ने मीडिया से कहा कि, हर दो महीने बाद लक्ष्य और शिवानी के बीच की दूरी दो मीटर बढ़ा दी जाती है. मुझे उम्मीद है कि 2020 तक मेरी बेटी न सिर्फ राष्ट्रीय टीम में आ जाएगी बल्कि ओलंपिक में तिरंगा भी लहराएगी.
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