नेहरू के खिलाफ एक कविता सुनाई, मशहूर गीतकार को जेल में काटने पड़े दो साल
नेहरू के खिलाफ एक कविता सुनाई, मशहूर गीतकार को जेल में काटने पड़े दो साल
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कर्नाटक में 20 मई को कांग्रेस की गवर्नमेंट बनते ही एक सरकारी स्कूल के टीचर को इसलिए निलंबित कर दिया गया क्योंकि उसने नए सीएम सिद्धारमैया और कांग्रेस के मुफ्त में चुनावी वादों पर निंदा करते हुए टिप्पणी भी कर दी थी. लेकिन नए सीएम को यह आलोचना रास नहीं आई और राज्य सरकार ने शपथ लेने के दिन ही टीचर के निलंबन का आदेश भी जारी कर दिया था. यह स्थिति सिर्फ कर्नाटक में ही नहीं है, बल्कि देश के कई अन्य राज्यों में भी है, जहां गवर्नमेंट और पद पर बैठे लोग अपनी आलोचना पचा नहीं पा रहे और उनके विरुद्ध तुरंत मामले दर्ज कर लिए जा रहे हैं.

लोकतांत्रिक रूप से चुनकर आए नेताओं की निंदा किए जाने के खिलाफ एक्शन का सिलसिला आज का नहीं है. सिकी शुरुआत तभी हो गई थी जब भारत आजाद हुआ था और आजादी की तरुणाई में खुद को आगे बढ़ाने की जद्दोजहद में लगा हुआ था. तब देश की कमान पंडित जवाहर लाल नेहरू के हाथों में थी, लेकिन आजादी के तुरंत बाद भी सत्ता के विरुद्ध बात कहने और उसे अपने अंदाज में कहने का सिलसिला अब भी बना हुआ है.

आजादी के जश्न के बीच कई लोग ऐसे भी थे जो चाहते थे कि गवर्नमेंट अवाम की बात सुने और कलम की भी आजादी भी बनी रही. इस बीच मशहूर शायर मजरूह सुल्तानपुरी ने मिल मजदूरों की एक सभा में एक विस्फोटक गीत पढ़ दिया जो सीधे-सीधे तब के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को लेकर कही गई थी. तब शायर मजरूह देश के अजीम शख्सियत बन गए है.

मिल मजदूरों के सामने गाया गाना, पहुंचे जेल: देश की आजादी से पहला उनका लिखा एक नगमा हर ओर गूंजने लगा था. मशहूर मूवी निर्माता एआर कारदार के कई प्रयासों के उपरांत मजरूह ने उनकी फिल्म शाहजहां (1946) के लिए नगमें लिखे, जो जल्द ही देशभर में पापुलर हो चुके है. केएल सहगल की आवाज में ‘जब दिल ही टूट गया हम जी के क्या करेंगे’ हर किसी की जुबां पर पहुंच चुका है. इसी मूवी में ‘मेरे सपनों की रानी’ से मोहम्मद रफी ने कोरस में गाते हुए गायकी के करियर की शुरुआत की थी. तब वह कई मूवी के लिए गीत लिख चुके थे.

मजरूह ने वर्ष 1949 में बॉम्बे में अपनी कविता के माध्यम से नेहरू और खादी को लेकर तीखी बात कह दी, जो तब के शीर्ष नेताओं को रास नहीं आया, वो इससे बहुत खफा हो गए. मोरारजी देसाई तब बॉम्बे प्रेसिडेंसी के बड़े नेता हुआ करते थे और तब वह राज्य के गृह मंत्री थे. मोरार जी देसाई ने शायर और गीतकार से इस गीत के लिए उन्हें ऑर्थर रोड जेल में डाल दिया और गीत के लिए माफी मांगने के लिए बोला है कि, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया. नतीजा यह हुआ कि मजरूह सुल्तानपुरी को एक गीत के लिए 2 वर्ष तक जेल में गुजारना पड़ गया.जिस कविता को लेकर उन्हें 2 वर्ष जेल में गुजारनी पड़ी, वो कविता ये रही…

1962 में भी नेहरू के निशाने पर रहे मजरूह: ये अलग संयोग ही है, मशहूर शायर मजरूह सुल्तानपुरी की पुण्यतिथि 24 मई को पड़ती तो है पंडित जवाहर लाल नेहरू की पुण्यतिथि आज 27 मई के दिन मनाई जा रही है. पंडित नेहरू एक बार फिर मजरूह समेत वामपंथी नेताओं के विरुद्ध नजर आए जब 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध शुरू हो गया. मजरूह तब भूमिगत हो गए थे, लेकिन इस बीच मुंबई के नागपाड़ा में मुशायरे का आयोजन हुआ जिसमें वह शामिल होने पहुंचे, लेकिन कई कोशिशों के उपरांत वह फिर पकड़े गए.

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