थम रही धड़कन, खतरे में जवानी
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नई दिल्ली : हमारी ख़राब जीवनशैली के चलते देश में होने वाली एक चौथाई मौत के पीछे दिल संबंधी बीमारिया है. संक्रमण से होने वाले रोगों में कमी आई है लेकिन गैर संक्रामक रोगों में इजाफा हुआ है. संक्रामक बीमारियों से होने वाली मौत में मातृ प्रसवकालीन और पोषण के कारण में होने वाली मौत शामिल है.कुल योग 100 नही हैं. क्योकि इनमे लगने वाली चौट से होने वाली मौत शामिल नही है. रिपोर्ट के मुताबिक अगर बात करे 2010 से 2013 तक की तो संक्रामक रोग से 27 . 7 फीसदी जबकि गैर- संक्रामक रोग से 49.2 प्रतिशत मौते हुई है .इन सालो में सैम्पल रजिस्ट्रेशन सर्वे के तहत होने वाली मौत का ब्यौरा.

सबसे बड़े हत्यारे.. देश में मौत के पांच सबसे बड़े कारण है.

1 : बीमारी के चलते 12. 4 % मौत होती है.

2 : सांस की बीमारी के चलते 7.6 प्रतिशत मौत होती है.

3 : खतरनाक ट्यूमर की वजह से 6.1 % मौत होती है.

4 : प्रसव के दौरान 5.6 प्रतिशत मौते होती है.

5 : सबसे बढ़ा कारण दिल की बीमारी है जिसकी वजह से 23 .3 प्रतिशत मौत होती है. दिल की बीमारी से होने वाली मौत में हाल के समय में काफी इजाफा हुआ है.

देखा जाए तो 15 से 29 साल के युवाओ में दिल की बामारी के चलते ज्यादा मौत हुई है. आत्महत्या और चोट के चलते होने वाली मौत के बाद इस उम्र के युवाओ की मौत के बिछे सबसे बड़ा कारण दिल की बीमारी है. वही अगर ग्रामीण और शहरी इलाको में मौत की तुलना की जाए तो ग्रामीण की तुलना में शहरी इलाको के युवको की मौत दिल की बीमारी से सबसे अधिक हुई है. ग्रामीण इलाके में दिल की बीमारी से 21 . 5 % मौते हुई है जबकि शहरी इलाको में 29 .2 % मौते दिल की बीमारी से हुई है. स्त्रोत जनसँख्या आंकड़े.

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