बेटियों ने दिया पिता को कन्धा, तोड़ी परंपरा
बेटियों ने दिया पिता को कन्धा, तोड़ी परंपरा
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रायपुर : वर्तमान में जहा बेटियों को कोख में ही ख़त्म कर दिया जाता है क्योकि बेटो को बेटियों से ज्यादा माना जाता है लेकिन लोगो की इस अवधारणा पर रायपुर निवासी चार बहनों ने जमकर प्रहार किया जहा बेटे पिता की अर्थी को कन्धा देते है वही इन चार बहनों का परिवार ने साथ नहीं दिया तो खुद ही अपने पिता की अर्थी को कन्धा देते हुए मुक्तिधाम तक ले गई ।

लगभग सात महीने पहले आए थे रायपुर 

यह हँसता - खेलता परिवार 7 महीने पहले ही आसाम से रायपुर आया था जमीन विवाद के चलते संजय शाह (55) जुलाई 2015 में अपने परिवार को लेकर अपने भाइयो से दूर रायपुर में रहने के लिए आए थे. वे आसाम में चाय की खेती करते थे वे बीच-बीच में आसाम खेत देखने जाते रहते थे

फिक्र के कारण सीने में हुआ दर्द बना मौत का कारण 

संजय को घर की फिक्र के चलते सीने में दर्द होने लगा था जिसके कारण उन्हें 28-29 जनवरी को गायत्री नगर के निजी अस्पताल में भर्ती होना पड़ा तथा अस्पताल से डिसचार्ज होने के अगले दिन उन्हें फिर से सीने में तेज दर्द हुआ और उनकी मौत हो गई।

कोई नहीं आया परिवार से 

संजय की मौत के बाद उनके शव को दो दिन तक फ्रीजर में रखा गया था उनके परिवार या उनके तीन भाइयो के इन्तजार में लेकिन हो दिन तक कोई नहीं आया तो बेटियों को ही बनना पड़ा अर्थी का सहारा।

दुःख के इस कहर को सह पाना हुआ मुश्किल 

इन चार बेटियों के आलावा संजय का एक छोटा बीटा भी है जब वह अपने पिता को मुखाग्नि दे रहा था तब बड़ी बहनों से सहा नहीं गया और वे अपना हौश मुक्तिधाम में ही खो बैठी आखिर अंतिम संस्कार में संजय शाह के परिवार के अलावा उनकी बहन का परिवार उनके साले और बढ़ते कदम सामाजिक संस्था के कुछ लोगो ने उनका साथ दिया। भाइयों के साथ जमीन को लेकर हुए विवाद के बाद वे जुलाई 2015 में अपने परिवार के साथ रायपुर शिफ्ट हुए थे। बीच - बीच में खेती का काम देखने असम जाया करते और बाकी समय यहां मैग्नेटो मॉल में काठी रोल की दुकान चलाने वाली बड़ी बहन की मदद करते।

 

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