5G: मशीनें भी आपस में कर सकेंगी बात, ये है पूरी रिपोर्ट
5G: मशीनें भी आपस में कर सकेंगी बात, ये है पूरी रिपोर्ट
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एक बड़ा बदलाव टेक जगत में अगले दो साल में आने वाला है. इस बदलाव का नाम है '5G' टेक्नोलॉजी. इस नई टेक्नोलॉजी को कुछ महीने पहले ही दक्षिण कोरिया में आधिकारिक तौर पर लॉन्च कर दिया गया है. जल्द ही यह तकनीक अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों में आधिकारिक तौर पर लॉन्च कर दिया जाएगा. साल 2022 तक इस सेवा को भारत में भी आधिकारिक तौर पर लॉन्च कर दिया जाएगा. केन्द्र सरकार अगले 100 दिनों में इस सेवा का ट्रॉयल करने को तैयार है. इस बात कि जानकारी केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने नई सरकार में मंत्रालय संभालते ही दी थी. ऐसे में अगले दो साल में भारत में भी इस सुपफास्ट इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क तकनीक की शुरुआत हो सकती है. ऐसा माना जा रहा है कि 5G सेवा में केवल इंसान ही नहीं, मशीनें भी एक दूसरे से बात कर सकेंगीं. आज हम आपको इस सर्विस के बारें मे विस्तार से जानकारी से देने वाले है.

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5G यानी की Fifth Generation (पांचवी जेनरेशन) को मोबाइल और नेटवर्क क्रांति का पांचवां जेनरेशन भी कहा जाता है. इस सर्विस में डिवाइस-टू-डिवाइस कम्युनिकेशन अभी की तुलना में कई गुना ज्यादा हो सकती है. इसे समझने के लिए अगर उदाहरण दिया जाए तो अभी अगर आप 5GB साइज की एक मूवी (HD क्वालिटी) को इंटरनेट से डाउनलोड करते हैं तो उसमें 7 से 10 मिनट का समय लगता है. वहीं, 5G में उसी मूवी को डाउनलोड करने में आपको केवल 40 सेकेंड से 1 मिनट का समय लगेगा. यानी की आपको इंटरनेट की कनेक्टिविटी अभी के मुकाबले 10 गुनी ज्यादा मिलेगी. ऐसे में एक डिवाइस को दूसरे डिवाइस से कनेक्ट करने में बेहद कम समय लगेगा. 5G को सपोर्ट करने वाले क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 855 मोबाइल प्लेटफॉर्म वाले 5G के बारे में और ज्यादा जानने से पहले हम यह जान लें कि 1G से 5G का सफर कैसा रहा है और इस सफर को तय करने में कितना समय लगा है? 1G यानी की फर्स्ट जेनरेशन की शुरुआत 1979 में हुई थी. इसे आधिकारिक तौर पर 1981 में रोल आउट किया गया। 1G में एनालॉग तकनीक का इस्तेमाल किया गया था जिसकी मदद से एक वायरलेस डिवाइस से दूसरे वायरलेस डिवाइस में कॉल की जा सकती थी. 1G में टेक्स्ट मैसेज भेजना संभव नहीं था, इसका इस्तेमाल केवल कॉलिंग के लिए ही किया जाता था.1G के लॉन्च होने के करीब 10 साल बाद 1991 में 2G को आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया गया. 2G में यूजर्स कॉल के साथ ही टेक्स्ट मैसेज भी भेज सकते थे। इसी जमाने में पेजर नाम के डिवाइस का भी इवोल्यूशन हुआ जो कि केवल टेक्स्ट मैसेज करने के लिए इस्तेमाल होता था. अगर आपको कई सूचना किसी को पहुंचानी थी तो पेजर नंबर पर आप अपना संदेश छोड़ देते थे.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि 90 के दशक में ही 2G को अपग्रेड करके इसमें GPRS और EDGE नेटवर्क को जोड़ा गया. इसके साथ ही यूजर्स 2G के जरिए अब इंटरनेट भी एक्सेस कर सकते थे. साथ ही, MMS (मल्टी मीडिया मैसेज) भी कर सकते थे. इसके बाद से ही मल्टीमीडिया सपोर्ट वाले मोबाइल फोन बाजार में आने लगे. 2G में एक 5GB की HD मूवी को डाउनलोड करने में लगभग 1 महीने का समय लग सकता है. 3G यानी की मोबाइल नेटवर्क के तीसरे जेनरेशन में यूजर्स को 2G से कई गुना स्पीड में इंटरनेट सेवा मिलने लगी थी. अब यूजर्स वॉयस के साथ-साथ वीडियो कॉलिंग भी करने लगे थे. 3G सेवा का ट्रॉयल 1998 में किया गया और इस सेवा को व्यवसायिक तौर पर 2001 में शुरू किया गया. भारत में 3G को पहुंचने में और 7 साल का समय लग गया. भारत में 2008 के बाद 3G सेवा की शुरुआत हुई और 2009-10 में इसे व्यवसायिक तौर पर रोल आउट किया गया. 3G में अगर आप एक 5GB की HD मूवी को डाउनलोड करते हैं तो इसमें करीब 24 घंटे का समय ​लग जाता है.

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