14 अप्रैल को है तमिल नववर्ष पुथांडु, जानिए इसका महत्व
14 अप्रैल को है तमिल नववर्ष पुथांडु, जानिए इसका महत्व
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तमिल कैलेंडर के अनुसार, संक्रांति सूर्योदय एवं सूर्यास्त के बीच आती है, तो उस दिन को नववर्ष कहा जाता है किन्तु यदि यह दिन सूर्यास्त के पश्चात् होता है, तो अगले दिन को पुथांडु कहा जाता है। ऐसे में इस वर्ष पुथांडु 14 अप्रैल को मनाया जाएगा। पुंथाडु संक्रांति 14 अप्रैल शुक्रवार को दोपहर 3 बजकर 12 मिनट से अपराह्न से आरम्भ होगी। तत्पश्चात, पूजा के लिए सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त से पहले तक ता वक्त अनुकूल रहेगा। तमिल कैलेंडर में 12 महीने होते हैं। पहले महीने को चिथिरई कहा जाता है तथा इसी चिथिरई के पहले दिन पुंथाडु मनाई जाती है।

पुथांडु का महत्व:-
तमिल वाले लोग पुथांडु की बेहद अहमियत देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस शुभ दिन पर, भगवान इंद्र इस दिन शांति के लिए पृथ्वी पर उतरे थे तथा भगवान ब्रह्मा से ब्रह्मांड की स्थापना की बात की थी। तमिल समुदाय की धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मांड का निर्माण किया था। इस दिन की कई अनूठी अहमियत हैं।

कैसे मनाते हैं पुथांडु:-
पुथांडु पर लोग घर में साफ-सफाई करते हैं तथा पवित्र जल से स्नान करते हैं। इस दिन घर को रंगोली से सजाई जाती है। इस दिन लोग पारंपरिक कपड़े पहनते हैं तथा पूजा के समय फल, मिठाई एवं फूल चढ़ाए जाते हैं। इस दिन लोग घर-घर में चावल की खीर बनाते हैं। इसके अतिरिक्त आम पचड़ी एवं शाकाहारी व्यंजन बनाए जाते हैं। इस दिन पूजा में परिवार के सबसे बुजुर्ग सदस्य पंचांग पढ़ते हैं एवं उत्सव का समापन करते हैं। इस दिन बच्चों को घर के बड़े गिफ्ट देते हैं। वहीं भक्त मंदिरों में जाकर एवं अपने कुल देवता और कुल देवी की पूजा करके ईश्वर से आशीर्वाद मांगते हैं। कुछ तमिल परिवार अपने दिवंगत पूर्वजों के उद्धार के लिए पूजा करते हैं।

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