स्वावलंबी भारत अभियान उद्यमिता सम्मेलन सम्पन्न
स्वावलंबी भारत अभियान उद्यमिता सम्मेलन सम्पन्न
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इंदौर/ब्यूरो। स्वावलंबी भारत अभियान के अन्तर्गत उद्यमिता सम्मान एवं प्रोत्साहन सम्मेलन कार्यक्रम वैषणव प्रबंधन महाविद्यालय, इन्दौर में आयोजित किया गया। सतीश कुमार,अखिल भारतीय सह-संगठक, द्वारा भारत युवाओं का देश है, युवाओ को सही दिशा में ले जाना ही स्वावलंबी का उद्देश्य है ताकि भारत युवा शक्ति लाभांश का फायदा उठा सके।

 आपके द्वारा स्वावलंबी भारत अभियान के चार पहिये बताये गये-1) विकेन्द्रीकरण 2) उद्यमिता 3) स्वदेषी  4) सहकारिता, युवाओं को उद्यमिता के साथ आगे बढ़ना चाहिये ताकि अपना संसाधन, अपना बाजार, अपना उत्पादन के साथ रोजगार युक्त, गरिबी मुक्त, समृध्दि युक्त भारत का सृजन हो सके तथा स्थानीय स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा मिल सके। हमारे देश का युवा देश की सम्पत्ति है, युवाओ को स्टार्टअप की ओर जाना है, इसके लिये पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट टाईम अर्निंग प्रारंभ करनी होगी। सुजीत  सिंहल, जेनलिप ईको सिस्टम, गुरूग्राम द्वारा स्वावलंबी भारत अभियान के मूल अवधारणा को बताया कि संस्कृत भाषा में बेरोजगारी शब्द ही नही है, इसके मायने यह है कि भारत में प्राचीन काल में बेरोजगारी की कल्पना भी नही की गई। भारत एक समृध्द राष्ट्र रहा है, आपके द्वारा युवा षक्ति के महत्व को बताया गया।

 रोजगार सृजन केन्द्र की विष्वविद्यालय में शुभारंभ का कार्यक्रम भविष्य में युवाओं की नीव सुदृढ़ करने में सहायक सिध्द होगा।  विवेक  दुबे, प्रांत समन्वयक स्वावलंबी भारत अभियान द्वारा बताया गया कि देष के भविष्य का केन्द्र उद्यमिता है अतः युवा उद्यमिता को अपना सपना बनाय। घर परिवार को, बच्चो को नौकरी के बजाय स्वंय के कौषल से कार्य प्रारंभ करने की सलाह एवं मार्गदर्शन देना चाहिए जिससे स्वरोजगार को बढ़ावा मिले। महेन्द्र गुप्ता, संस्थापक एन.आई.सी.टी. टेक्नोलाॅजी, द्वारा रोजगार को मूल विषय के रूप में बताया गया। रोजगार हेतु केन्द्र और राज्य शासन द्वारा स्टार्टअप पाॅलिसी, नई षिक्षा नीति, कौषल विकास कार्यक्रम, एनजीओ आदि सक्रिय है। स्वरोजगार के क्षेत्र में अपने विषय में उद्यमिता हेतु छवि बना चुके लोगो के अनुभव से सिखने की जरूरत है। श्री तनू तेजस, संस्थापक किराना दुकान, द्वारा बताया गया कि मैंने सभी किराना दुकानो को आॅनलाइन मोड में कर एक बड़ी कम्पन्नी स्थापित की है, जिसमें बेरोजगार लोगों हेतु रोजगार सृजन का कार्य किया। तनु तेजस सारस्वत ने विद्यार्थियों से अपनी सफलता की कहानी साझा की और स्वावलंबन के लिए भी प्रेरित किया। 

डाॅ. जार्ज थामस,संचालक महाविद्या द्वारा कहा गया कि हमारा देश भारत विश्व गुरू हुआ करता था, इसे सोने की चिड़िया कहां जाता था। क्योंिक पहले हमारे देश में हर घर स्वालंबी हुआ करते थे। वे अपनी जरूरत की चीजों का स्वयं निर्माण करते थे, वर्तमान में हम देखे तो उद्यमियों की संख्या घट गई है। इस विषय पर शोध कार्य किया जाना चाहिए। हमारा देश जरूरत की चीजों के लिए अन्य लोगों व अन्य देशों पर निर्भर हो गया है। इसलिए अब पूनः हमारे देश को सोने की चिड़िया बनाने के लिए हम सबको आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना होगा सभी को स्वावलंबी एवं सफल उद्यमी बनना होगा। महाविद्यालय के संकाय द्वारा सभी अतिथियों का अभार व्यक्त किया गया।

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