प्राक्रतिक चिकित्सा का हमारे जीवन में बहुत ज्यादा महत्त्व है. बिना किसी दावा दारू के, केवल शुद्ध हवा, पानी व् सूर्य के प्रकाश से चिकित्सा ही प्राकर्तिक चिकित्सा कहलाती है. और इसी तरह सूर्य स्नान भी प्राक्रतिक चिकित्सा का एक अनिवार्य अंग है.
कैसे करें सूर्य स्नान: उदय होते सूर्य की किरणों का सेवन ही सूर्य स्नान कहलाता है. जब सूर्य उदय होता है तब तो हमें सूर्य के प्रकाश में बैठना, लेटना व् उठना चाहिए. यही सूर्य स्नान कहलाता है. इस तरह जिस - जिस अंग पर सूर्य का प्रकाश पड़ेगा उसी अंग का स्वस्थ्य पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जायेगा. इसीलिए हमें शारीर के सभी अंगों पर सूर्य का प्रकाश लेना चाहिए. जिससे की सारा का सारा शारीर ही स्वस्थ हो जाए और अगर ऐसा पॉसिबल न हो तो कम से कम कपडे पहनने चाहिए. जिससे की हम सूर्य स्नान का पूर्ण फायदा उठा सकें.
प्रक्रिया: कपडे उतार कर सूर्य की किरणों में बैठ जाओ. सूर्य की किरणे शारीर के एक बडे भाग पर पड़नी चाहिए. अब आँखें बंद करों और महसूस करो की सूर्य आरोग्यता की किरणें आपके शरीर पर छोड़ रहा है. आरोग्यता आपके नस नस में समां रही है. आपके अंदर से सभी तरह की बीमारियाँ दूर हो रही है. ॐ का दीर्घ स्वर में उच्चारण करो. कुछ सूर्य की किरणें, और फिर ये ॐ का उच्चारण सूर्य स्नान के साथ आपको रोग दोष रहित कर देगा.