हाथियों के साथ क्रूरता पूर्ण व्यवहार के लिए मिलेगी सख्त सजा
हाथियों के साथ क्रूरता पूर्ण व्यवहार के लिए मिलेगी सख्त सजा
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नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को केरल में हाथी पालने वाले और धार्मिक समारोहों में इनका इस्तेमाल करने वाले मंदिरों का पंजीकरण कराने का निर्देश दिया. ये पंजीकरण नियमों के तहत बनाई गई जिला समितियों में किया जाएगा. इसके लिए इन्हें 6 हफ्ते का समय दिया गया है. इस कदम के पीछे सरकार का मकसद हाथियों के साथ होने वाली क्रूरता को रोकना है. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और और न्यायमूर्ति आर. बानुमथी की खंडपीठ ने कहा, "यह राज्य की जिम्मेदारी है कि वह मंदिरों के पंजीकरण को सुनिश्चित करे."

गौरतलब है कि पहले केरल में इस तरह के पंजीयन को गैर जरूरी बताते हुए कहा था कि यह पहले से ही नियम है कि हाथियों की देखभाल के लिए इनके मालिकों को इस बारे में लिख कर देना होता है. तब केंद्र सरकार ने भी इसका समर्थन किया था. लेकिन अदालत ने अपने फैसले में कहा कि "यह राज्य, जिला समिति, मंदिर प्रबंधन और हाथियों के मालिकों की जिम्मेदारी है कि वे देखें कि किसी भी हाथी के साथ किसी भी तरह का क्रूर व्यवहार नहीं हो रहा है वरना ऐसा करने वाले के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाएगा. 

हाथियों के देखभाल की निगरानी के लिए केरल कैपटिव एलीफैंट (मैनेजमेंट एंड मेनटेनेंस) रूल 2012 के तहत जिला समितियां बनाई गई हैं. इसमें वन्य पशु कल्याण बोर्ड के प्रतिनिधि और पशुओं को क्रूर व्यवहार से बचाने वाले लोग शामिल होते हैं.

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