पीएम मोदी की तारीफ करने का सुप्रीम कोर्ट के जज को पछतावा ? जस्टिस एमआर शाह ने दिया जवाब
पीएम मोदी की तारीफ करने का सुप्रीम कोर्ट के जज को पछतावा ? जस्टिस एमआर शाह ने दिया जवाब
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नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस एमआर शाह सोमवार को सेवानिवृत्त हो गए हैं. विदाई समारोह में प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने उन्हें 'टाइगर शाह' की संज्ञा दी है. अब मीडिया से बात करते हुए जस्टिस एमआर शाह ने बताया कि कैसे उन्हें 'टाइगर शाह' कहा जाने लगा. इसके साथ ही उन्होंने 2018 में पीएम नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करने के सवाल पर भी बेबाकी से जवाब दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें इसका कोई पछतावा नहीं है.

न्यायमूर्ति शाह ने कहा कि, 'टाइगर शाह' नाम उन्हें CJI चंद्रचूड़ ने दिया है. टाइगर नाम के पीछे 'CJI चंद्रचूड़ का प्यार और स्नेह' छिपा हुआ है. उन्होंने बताया कि, CJI चंद्रचूड़ ने उन्हें यह नाम उस समय दिया था, जब वे 2-3 वर्ष पूर्व रूस में एक सम्मेलन में गए थे. जस्टिस शाह ने कहा कि, हम एक सम्मेलन के लिए रूस गए थे. तब CJI ने कहा था कि, कोई भी काम टाइगर को देगा, टाइगर कर देगा. यह मेरे प्रति उनका प्यार, स्नेह और सम्मान है. बेंच के बारे में सवाल किए जाने पर जस्टिस शाह ने कहा कि, मुझे सबके साथ बैठने में मजा आता था, क्योंकि उनका स्वभाव ऐसा है.

बता दें कि 2018 में पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ करने के बाद सर्वोच्च न्यायालय के रिटायर जस्टिस एमआर शाह को एक बार सरकार समर्थक होने के लिए टारगेट किया गया है. जस्टिस शाह ने कहा कि, वे प्रधानमंत्री की तारीफ करने के लिए अपने बयान पर अब भी कायम हैं और वह कुछ लोगों के आलोचना करने से परेशान होने वाले नहीं हैं. बता दें कि जस्टिस एमआर शाह ने 2018 में गुजरात उच्च न्यायालय की हीरक जयंती मनाने के लिए आयोजित एक समारोह में पीएम मोदी की प्रशंसा की थी और सबसे लोकप्रिय, प्रिय, जीवंत और दूरदर्शी नेता करार दिया था. 

इसी बयान को लेकर जस्टिस शाह पर सवाल उठाए गए, तो उन्होंने कहा कि, मेरा विवेक स्पष्ट है और मेरे फैसले कभी व्यक्तिगत विचारों से प्रभावित नहीं हुए हैं. कोई भी यह दिखाने के लिए उदाहरण नहीं दे सकता है कि (बयान) ने न्यायिक पक्ष पर मेरे फैसले लेने की क्षमता को प्रभावित किया है. जिनके पास करने के लिए कुछ नहीं है, वे जजों की आलोचना करते हैं. जब, उनसे सवाल किया गया कि क्या उन्हें अपने बयान पर पछतावा है तो उन्होंने कहा- खेद की बात कहां है, मैंने क्या गलत कहा है?

जब जस्टिस शाह से पुछा गया कि, क्या गुजरात उच्च न्यायालय के जज के रूप में कार्यकाल के दौरान पीएम मोदी के साथ उनके कामकाजी संबंध थे? इस पर उन्होंने कहा कि, न्यायिक पक्ष में एक साथ काम करने का कोई प्रश्न ही नहीं है. शाह ने कहा कि, एक न्यायमूर्ति के रूप में अपने पूरे करियर में उनके राजनेताओं के साथ गहरे संबंध नहीं रहे. उन्होंने बगैर किसी भय, पक्षपात या दुर्भावना के एक जज के तौर पर अपने कर्तव्य का निर्वहन किया है. जस्टिस शाह ने कहा कि, मैंने सरकार के खिलाफ कई फैसले दिए हैं. जब हम फैसले देते हैं तो इस बात पर विचार नहीं करते हैं कि सत्ता में कौन है. हमारे लिए देश हित सबसे प्रथम होता है.

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