'जम्मू कश्मीर में चुनाव कब करा रहे हो..', 370 पर सुनवाई के दौरान केंद्र से सुप्रीम कोर्ट का सवाल
'जम्मू कश्मीर में चुनाव कब करा रहे हो..', 370 पर सुनवाई के दौरान केंद्र से सुप्रीम कोर्ट का सवाल
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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में निरंतर सुनवाई चल रही है।  आज यानि मंगलवार (29 अगस्त) को सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कब होंगे और राज्य का दर्जा कब वापस मिलेगा? इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि सरकार से निर्देश मिला है कि लद्दाख स्थायी रूप से केंद्र शासित प्रदेश रहेगा, जबकि जम्मू-कश्मीर अस्थायी तौर पर ही मौजूदा स्थिति में रहेगा। लद्दाख में कारगिल और लेह में स्थानीय निकाय के चुनाव आयोजित किए जाएंगे।  

रिपोर्ट के अनुसार, तुषार मेहता ने गृह मंत्री अमित शाह द्वारा लोकसभा में दिए गए जवाब का हवाला दिया। उसमें गृह मंत्री ने कहा था कि जम्मू कश्मीर में स्थिति सामान्य होते ही पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा। सरकार को इसमें कोई समस्या नहीं है। वहीं जम्मू कश्मीर में विधान सभा चुनाव को लेकर सरकार 31 अगस्त को जानकारी देगी।  इससे पहले, जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर 12वें दिन सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान एसजी तुषार मेहता ने दलीलें आगे बढ़ाईं। इसमें उन्होंने कहा कि हम 3 मुख्य बिंदुओं पर दलील देंगे। इनमें पहला कि, '370 पर हमारी व्याख्या सही है। दूसरा- राज्य पुनर्गठन अधिनियम और तीसरा अनुच्छेद 356 लागू होने पर विधायका की शक्ति के मापदंडों पर।'

सुप्रीम कोर्ट में तुषार मेहता ने आगे कहा कि संविधान निर्माताओं ने कभी भी अनुच्छेद 370 को स्थायी तौर पर लाने का इरादा नहीं किया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सीमावर्ती राज्य होने के कारण विशेष राज्य का दर्जा बहाल रखने की दलील भी लचर है क्योंकि जम्मू कश्मीर इकलौता सीमावर्ती राज्य नहीं है।  

जम्मू-कश्मीर में सरकार कब करा रही चुनाव: सुप्रीम कोर्ट

इस दौरान प्रधान न्यायाधीश ने सीधे सवाल किया कि सरकार जम्मू कश्मीर में चुनाव कब करा रही है? CJI ने एसजी तुषार मेहता से वो कानून दिखाने को भी कहा कि उन्हें राज्य के पुनर्गठन की ताकत कहां से मिली? मेहता ने अनुच्छेद तीन के हवाले से जानकारी दी कि संसद को किसी राज्य की बॉर्डर तय करने और केंद्रशासित प्रदेश बनाने के अधिकार हैं। CJI ने पूछा कि आपने एक ही केंद्रशासित प्रदेश क्यों नहीं रहने दिया? जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो क्यों बनाए?  न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने सवाल किया कि यदि आप लद्दाख को अलग किए बिना पूरा ही केंद्र शासित प्रदेश बनाते तो क्या असर होता? इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पहले अलग करना अनिवार्य और अपरिहार्य है। असम और त्रिपुरा को भी पहले अलग कर केंद्र शासित प्रदेश ही बनाया गया था। एक स्टेट को केंद्र शासित प्रदेश नहीं घोषित किया जा सकता। CJI ने कहा कि चंडीगढ़ को पंजाब से ही विशिष्ट तौर पर अलग करते हुए केंद्रशासित बनाकर दोनों राज्यों की राजधानी बनाया गया था। 

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