SC ने यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे पर सरकार से 30 अक्टूबर तक जवाब मांगा
SC ने यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे पर सरकार से 30 अक्टूबर तक जवाब मांगा
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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मनमाने ढंग से तलाक औऱ शादी के मुद्दों पर चिंता जताई है। इसी के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यूनिफॉर्म सिविल कोड की बहस को भी तेज कर दिया है। मनमाने ढंग  से तलाक और पहली शादी के दौरान ही दूसरी शादी किए जाने पर मुस्लिम महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव पर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कोई ऐसा विकल्प सुझाने को कहा है जिससे अन्य धर्मों की महिलाओं की तरह का बर्ताव ही मुस्लिम महिलाओं के साथ भी हो।

जस्टिस अनिल आर दवे औऱ जस्टिस एके गोयल की बेंच ने इस बात पर चिंता जताई कि जब संविधान में सबको बराबर का हक है तो मुस्लिम महिलाओं के साथ लैंगिक भेदभाव क्यों हो रहा है। इससे महिलाओं को सुरक्षा नही मिल पाती है। बेंच का मानना है कि सरकारी नीति निर्माताओं ने इस ओर पर्याप्त ध्यान नही दिया, जब कि इससे पहले भी अदालत ने पर्सनल लॉ को तार्किक बनाकर समान यूनिफॉर्म कोड लागू करने की बात कही थी। हम इसे सरकार के भरोसे नही छोड़ सकते क्यों कि इसमें एक विशेष समुदाय की महिलाओं का मौलिक अधिकार जुड़ा है।

जस्टिस विक्रमजीत सिंह की बेंच ने कई पर्सनल लॉ से होने वाले भ्रम के बारे मे बताया था और सरकार से एक समान कोड लागू करने को कहा था। चूंकि अदालत का काम फैसला सुनाना है और सरकार को सुझाव देना। कानून बनाना सरकार के हाथ में है। पर केंद्र सरकार के ऑफिसर्स ने इसे अब तक किनारे ही रखा है। इस लॉ मे क्रिश्चियन के तलाक के उस नियम को भी बदलने की मांग कर रही है, जो उन्हें तलाक लेने में बाकियो से ज्यादा वक्त लगाती है।

कोर्ट ने सरकार से 30 अक्टूबर तक जवाब देने को कहा है कि केंद्र स्पष्ट करे कि वह इसके पक्ष में है या नही। क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड यह कोर्ट का वह प्रोपोजल है जिसमें धर्म, समुदाय औऱ परंपरा के अनुसार सभी के लिए अलग-अलग नियम है। यह शादी, तलाक, गोद लेने औऱ एलुमिनी देने के मामलों में लागू होता है। आर्टिकल 44 के मुताबिक यह नीति निर्देशक के तहत राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है।

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