सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को रोकने पर SC ने उठाए सवाल
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को रोकने पर SC ने उठाए सवाल
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नई दिल्ली : शनि शिंगणापुर में महिलाओं को श्री शनि मंदिर में प्रवेश देने का मामला अभी कुछ सुलझता नज़र आ रहा था कि अब सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को हटाने की मांग उठने लगी। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने मंदिर बोर्ड और सरकार से कई तरह के प्रश्न किए। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में वेदों का हवाला देते हुए कहा कि जब शास्त्रों में स्त्री और पुरूष को लेकर भेद नहीं किया गया है तो फिर सबरीमाला में ऐसा क्यों किया गया है। न्यायालय ने इसे लेकर सुनवाई की और कहा कि आखिर क्या महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध को किस तरह से स्थायी किया जा सकता है।

इस पर सवाल उठाए जा रहे हैं। हालांकि मंदिर प्रबंधन ने अपनी ओर से कई तरह के जवाब दिए। जिसमें यह कहा गया कि इस तरह की प्रथा करीब 1 हजार वर्षों से चली आ रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले को लेकर कहा है कि केवल सबरीमाला मंदिर ही नहीं सबरीमाला पर्वत पर भी महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित किया गया है। मगर इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि आखिर सबरीमाला में महिलाओं को प्रवेश क्यों नहीं दिया जा रहा है।

समानता के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के मसले पर रोक कहां तक उचित है। न्यायालय के अनुसार वे अपने अधिकारों के मध्य संतुलन स्थापित करना चाहते हैं। आखिर सबरीमाला मंदिर एक धार्मिक स्थल है। हालांकि न्यायालय ने सरकार को और मंदिर प्रबंधन को करीब 6 माह का समय इस मामले में जवाब देने के लिए दिया है। उल्लेखनीय है कि न्यायालय ने वरिष्ठ अभिभाषक राजू रामचंद्रन और के. रामामूर्ति को न्यायालय सहायक नियुक्त किया गया। मंदिर प्रबंधन सुप्रीम कोर्ट के जवाब की तैयारी में लगा है। 

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