यूपीए के वक्त सुझाव कम निर्देश ज्यादा दिए जाते थे- स्मृति ईरानी
यूपीए के वक्त सुझाव कम निर्देश ज्यादा दिए जाते थे- स्मृति ईरानी
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नई दिल्ली: एक समारोह में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कई तरह के सवालों के बेबाकी से जवाब दिए उन्होंने कहा, मेरी रीढ़ नहीं झुकती है और एडजस्ट करना मैंने सीखा नहीं है, लोकप्रियता हमारा शौक होता तो सीरियल कर रही होती. जिम्मेदारी मिली है तो जवाबदेही के साथ उसे निभाऊंगी. मुझे पालिटिकल स्टॉकर न बनाएं. चार साल पहले जब मैं अमेठी लोकसभा चुनाव के लिए गई थी तो 20 दिनों में मैंने 60 साल का अंतराल तय किया था.


 उन्होंने कहा, यूपीए के वक्त सुझाव कम निर्देश ज्यादा दिए जाते थे. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ विरोध का भी अधिकार होता है मगर पद्मवात के वक्त जैसा विरोध प्रदर्शन हुआ वह विरोध की आड़ में अराजकता थी. पीएम मोदी ने देश की संसद और बाहर कहा कि उनका एक ही धर्म है, वो है संविधान. पीएम ने खुद कहा है कि मोदी का विरोध देश के विरोध में न तब्दील हो जाए यह ध्यान में रखना चाहिए. नरेंद्र मोदी एक अकेले ऐसे नेता है, जो ऐसे कई अवरोध, जहरीले हमलों के बावजूद नेता बने, क्योंकि देश की जनता उनके साथ है.

 उन्होंने कहा, मैं दिल्ली के मुनिरका में अपने पिता जी के तबेले में रहती थी. आज स्मृति ईरानी की चकाचौंध सबको दिखती है. लेकिन यह बिना परिश्रम के नहीं है.मैंने जीवन में सीखा है- तुम अपनी किस्मत को अपने हाथ के कंट्रोल में रखो. मैंने इंडस्ट्री और मंत्रालय के बीच संवाद की एक बड़ी दरार देखी है. साथ ही मंत्रालय की पॉलिसी और इंडस्ट्री के बीच अंतर देखा. मेरी कोशिश संवाद से इस अंतर को कम करने की है. जब आप बेखौफ होकर संवाद करते हैं, तो समाधान पर जल्दी पहुंचते हैं.

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