चीन से पैसे लेकर फैलाया 'भारत विरोधी' प्रोपेगेंडा ! Newsclick के पत्रकारों पर ताबड़तोड़ छापेमारी, अभिसार शर्मा के घर पर भी रेड
चीन से पैसे लेकर फैलाया 'भारत विरोधी' प्रोपेगेंडा ! Newsclick के पत्रकारों पर ताबड़तोड़ छापेमारी, अभिसार शर्मा के घर पर भी रेड
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नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने आज मंगलवार (3 अक्टूबर) की सुबह प्रोपेगेंडा मीडिया संस्थान न्यूज क्लिक (NewsClick) से संबंधित कई कथित पत्रकारों के ठिकानों पर दबिश दी। जानकारी के अनुसार, छापेमारी दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद में लगभग 30 ठिकानों पर हुई है। बता दें कि, न्यूज क्लिक वही प्रोपेगेंडा पोर्टल है, जिसे भारत के शत्रु चीन से करोड़ों की फंडिंग मिल चुकी है। इन पैसों के बदले न्यूज़ क्लिक पर चीन के समर्थन में और भारत के विरोध में प्रोपेगेंडा फैलाने का आरोप है। 

 

हालाँकि, इस छापेमारी को लेकर दिल्ली पुलिस ने अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। जिन लोगों के ठिकानों पर छापेमारी पड़ने की जानकारी सामने आई है, उनमें एक न्यूज एंकर से यूट्यूबर बने अभिसार शर्मा का नाम भी शामिल है। अभिसार शर्मा ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, 'दिल्ली पुलिस मेरे घर पहुँची। मेरा लैपटॉप और फोन ले लिया।' खबरों के मुताबिक, न्यूज क्लिक से जुड़े कई अन्य लोगों के ठिकानों पर भी छापेमारी पड़ी है। इनमें संजय राजौरा, भाषा सिंह, उर्मिलेश, प्रबीर पुरकायस्थ, अनिंदो चकवर्ती और सोहेल हाशमी का नाम भी शामिल हैं। पत्रकार नेहा दीक्षित ने इन सभी के नाम लेते हुए ट्वीट किया है कि इनके फोन और लैपटॉप पुलिस ने अपने कब्जे में लिया है। कुछ को थाने भी ले जाया गया है।

न्यूज़क्लिक को क्यों मिली चीनी फंडिंग :-

बता दें कि, अमेरिकी अखबार ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में अगस्त 2023 में प्रकाशित एक आर्टिकल में न्यूजक्लिक और चीन के बीच संबंधों के बारे में बड़ा खुलासा किया था। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में भी यह मुद्दा उठाया था। इस दौरान दुबे ने न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट दिखाते देते हुए कहा था कि न्यूज क्लिक को चीन से 38 करोड़ रुपए मिले थे, जिसे उसने कुछ पत्रकारों में बाँट दिया था। बता दें कि, न्यूज़क्लिक के पोर्टल पर आप देखेंगे कि, वो अक्सर प्रोपेगेंडा खबरें चलता था, इसी के बदले में उसे चीन से पैसे मिलते थे, उसके अधिकतर लेख विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस के समर्थन में होते थे, वहीं, केंद्र और राज्यों की भाजपा सरकारें उसके निशाने पर रहती थी। दरअसल, चीन भारत में मोदी सरकार के खिलाफ फर्जी खबरें फैलाने और माहौल बनाने के लिए पैसे देता है, ताकि सरकार हटे और उसका काम आसान हो जाए। चीन उन देशों में ये खेल नहीं खेलता, जहाँ उसकी समर्थक सरकारें हैं। यही खुलासा ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने अपनी रिपोर्ट में किया था।   

 

इससे पहले अगस्त में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले की छानबीन में न्यूज क्लिक के चीफ एडिटर प्रबीर पुरकायस्थ के दिल्ली वाले फ्लैट को अटैच कर दिया था। वहीं, न्यूज़ क्लिक पर हुई कार्रवाइयों को विपक्षी नेता प्रेस पर हमला बताकर उसका बचाव करते रहे हैं। ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ के मुताबिक, 'यह बहुत कम लोगों को पता है कि गैर-लाभकारी संगठनों (NGO) और शैल कंपनियों की आड़ में नेविल रॉय सिंघम चीन के सरकारी मीडिया के साथ मिलकर कार्य करता है और चीन के प्रोपेगेंडा को पूरे विश्व में फैलाने के लिए फंडिंग करता है।'

‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने अपने आर्टिकल में कहा है कि नेविल रॉय सिंघम भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) जैसे देशों (अधिकतर चीन विरोधी देश) में प्रगतिशील होने की वकालत करने के बहाने चीनी सरकार के मुद्दों को लोगों के बीच फैलाने में सफल रहा है। नई दिल्ली स्थित कॉर्पोरेट फाइलिंग से भी खुलासा हुआ है कि नेविल रॉय सिंघम के नेटवर्क ने प्रोपेगेंडा पोर्टल न्यूज़क्लिक को फंडिंग की थी। इसके तहत न्यूज क्लिक ने अपनी कवरेज को चीनी सरकार के मुद्दों से जोड़ते हुए एक वीडियो में कहा था कि, 'चीन का इतिहास श्रमिक वर्गों को प्रेरित करता रहा है।' यानी न्यूज़ क्लिक भारत सरकार पर निशाना साधने के साथ ही चीन का महिमामंडन भी करता था। 

ED ने भी किया था बड़ा खुलासा:-

केंद्रीय जाँच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 9 फरवरी 2021 को न्यूज क्लिक के संस्थापक और एडिटर-इन-चीफ प्रबीर पुरकायस्थ के आवास पर रेड मारी थी। ED के सूत्रों के मुताबिक, न्यूज़ क्लिक को एक अमेरिकी कंपनी से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के तहत 10 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे। जाँच में चौंकाने वाली बात यह पता चली थी कि पुरकायस्थ को इस बात का पता ही नहीं था कि अमेरिकी कंपनी ने उनकी कंपनी के अकाउंट में पैसे क्यों ट्रांसफर किए। वास्तव में, अमेरिकी कंपनी से मिले पैसों के बदले उन्होंने क्या काम किया था, वह उसका कोई स्पष्ट जवाब ही नहीं दे पाए थे।

आगे की जाँच में पता चला कि अमेरिका स्थित एक अन्य कंपनी ने न्यूज़ क्लिक को 20 करोड़ रुपए की फंडिंग की और इसे ‘एक्स्पोर्ट रेमिटेंस’ के रूप में बताया गया था। यह फंड इसलिए दिया गया था, क्योंकि न्यूज क्लिक ने पीपल्स डिस्पैच नामक पोर्टल पर कंटेंट अपलोड किया था। सूत्रों ने यह भी जानकारी दी थी कि न्यूज क्लिक के संस्थापक पुरकायस्थ ने रखरखाव के नाम पर 1.5 करोड़ रुपए भी लिए थे। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने अपने दफ्तर में रखरखाव के लिए 9वीं कक्षा पास इलेक्ट्रीशियन को नौकरी पर रखा था। इतना ही नहीं उन्होंने जो पैसा लिया था, वह बगैर किसी कागज़ी कार्यवाही के उन्हें मिला था। ऐसे में वह इस ट्रांसक्शन के बारे में ED को कुछ भी नहीं बता पाए थे।

जुलाई 2021 में, ED ने जानकारी दी थी कि ‘न्यूज़क्लिक’ के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जाँच से पता चला है कि इसके प्रमोटरों को लगभग 38 करोड़ रुपए मिले थे। इस फंडिंग के चीन की सत्ताधारी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) से जुड़े होने का शक है। गौर करने वाली बात ये भी है कि, चीन पर शासन कर रही CCP के साथ 2008 में कांग्रेस ने एक पार्टी टू पार्टी समझौता किया था, इस समझौते में क्या-क्या चीज़ें निर्धारित की गई थीं, ये किसी को नहीं पता। ये मामला सुप्रीम कोर्ट भी गया था और इसकी CBI या NIA से जांच करने की मांग की गई थी, लेकिन अदालत ने कांग्रेस-CCP समझौते पर दाखिल याचिका को सुनने से ही इंकार कर दिया था। 

वहीं, न्यूज़ क्लिक के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जाँच कर रहे एक अधिकारी ने खुलासा किया था कि ‘न्यूज़क्लिक’ का नेविल रॉय सिंघम नामक श्रीलंकाई-क्यूबा स्थित व्यवसायी के साथ आर्थिक लेनदेन था। सिंघम ने ही कथित तौर पर विदेश से 2018 से 2021 के बीच ‘पीपीके न्यूज़क्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड’ को 38 करोड़ रुपए का फंड दिया था। ‘न्यूजक्लिक’ को मिले पैसों की जाँच करने वाले अधिकारियों ने बताया है है कि नेविल रॉय सिंघम कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (CCP) के प्रोपेगेंडा फैलाने वाली शाखा के लिए काम करता है।

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