महाराष्ट्र के सरकारी अस्पताल में 24 घंटे में 24 मरीजों की मौत, 70 की हालत गंभीर, मचा हड़कंप
महाराष्ट्र के सरकारी अस्पताल में 24 घंटे में 24 मरीजों की मौत, 70 की हालत गंभीर, मचा हड़कंप
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नांदेड़: महाराष्ट्र में नांदेड़ के शंकरराव चव्हाण सरकारी चिकित्सालय में 24 घंटे में 24 रोगियों की मौत हुई। जान गंवाने वालों में 12 बच्चे, 7 महिलाएं और 5 पुरुष हैं। चिकित्सालय प्रशासन ने बताया कि सभी की मौत 30 सितंबर रात 12 बजे से 1 अक्टूबर रात 12 बजे के बीच हुई। इन मौतों के पश्चात् परिजन ने चिकित्सालय में हंगामा किया। चिकित्सालय में 500 बेड की व्यवस्था है, किन्तु 1200 मरीज भर्ती हैं। इनमें 70 मरीजों की हालत अभी भी गंभीर है।

2 अक्टूबर को यह मामला मीडिया में आया। इस बारे में जब चिकित्सालय प्रशासन से सवाल पूछा गया तो दिनभर (2 अक्टूबर) को इन मौतों को सामान्य घटना बताता रहा। प्रशासन ने कहा कि 4 मरीजों की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। 1 मरीज का लिवर फेल हुआ था। 1 मरीज की मौत जहर खाने, 2 की संक्रमण तथा 1 महिला की मौत डिलीवरी के समय अधिक ब्लड बहने से हुई। वहीं, अन्य मौतों की जांच चल रही है। दूसरी तरफ, देर शाम चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. श्याम राव वाकोड़े ने कहा कि चिकित्सालय में स्नेक बाइट (सांप के काटने) और अन्य गंभीर बीमारियों के उपचार में उपयोग होने वाली दवाइयों की कमी है। हाफकिन कंपनी ने दवाओं की आपूर्ति बंद कर दी है। चिकित्सालय से निरंतर कर्मचारियों का तबादला किया जा रहा है, ऐसे में हमारे पास स्टाफ भी कम है।

चिकित्सालय के डीन ने बताया कि बीते 24 घंटों में 6 लड़के और 6 लड़कियों की मौत हुई है। हम थर्ड लेवल के देखभाल केंद्र हैं और 70 से 80 किलोमीटर के दायरे में एकमात्र सरकारी चिकित्सालय हैं। इसलिए दूर-दूर से मरीज हमारे पास आते हैं। कुछ दिनों में मरीजों की संख्या बढ़ जाती है तथा यह बजट के लिए परेशानी उत्पन्न कर देती है। डीन ने बताया कि हमें हाफकिन नाम के एक संस्थान से दवाइयां खरीदनी थीं, मगर ऐसा नहीं हो पाया। इसलिए हमने स्थानीय स्तर पर दवाएं खरीदीं और मरीजों को प्रदान कराईं। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य के कई सरकारी चिकित्सालय दवाओं की कमी से जूझ रहे हैं। मरीजों को वक़्त पर दवा नहीं मिलने से उनकी जान जा रही है। कुछ रिपोर्ट में ये भी दावा किया जा रहा है कि दवा सप्लाई करने वाली कंपनी हाफकिन इंस्टीट्यूट से कई चिकित्सालयों ने खरीद बंद कर दी है, जिसकी वजह से राज्य के कई चिकित्सालय दवा की कमी से जूझ रहे हैं। 

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