नई दिल्लीः केंद्र सरकार देशभर में लंबित चल रहे दुराचार के मामलों की सुनवाई के लिए 1023 विशेष अदालतों का गठन करेगी। सरकार ने यह काम 2 अक्तूबर से शुरू करने का सोचा है। केंद्रीय विधि मंत्रालय ने न्याय विभाग को इसके लिए 767.25 करोड़ रुपये के बजट का प्रस्ताव दिया है। निर्भया फंड के तहत एक वर्ष के लिए 474 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता मिलेगी। इस कोष की घोषणा 2013 में केंद्र सरकार ने दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को एक छात्रा के साथ हुए सामूहिक दुराचार और हत्या के बाद किया था।
कैबिनेट सचिवालय को 8 अगस्त को लिखे पत्र में न्याय विभाग ने बताया है कि 11 जुलाई को व्यय वित्त समिति की सिफारिश और कानून मंत्री की स्वीकृति मिलने के बाद इस मामले को मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय के पास भेजा गया है। विभाग ने लिखा कि इसके साथ अन्य संबंधित कदम उठाए जा रहे हैं क्योंकि 2 अक्तूबर 2019 से विशेष अदालतों को शुरू करने की योजना है।
इससे पहले महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक बयान में बताया था कि पहले चरण में नौ राज्यों में इस तरह की 777 अदालतें गठित की जा सकती हैं और दूसरे चरण में 246 अदालतों का गठन होगा। गौरतलब है कि संसद ने हाल ही में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून में संशोधनों को पारित किया था। यह कानून बच्चों के यौन दुर्व्यवहार से निपटने के लिए है। संशोधित कानून में बच्चों के यौन शोषण के लिए मृत्युदंड तक का प्रावधान शामिल किया गया है। दरअसल देश की अदालतों में दुराचार के लाखों मामले लंबित हैं। जिसकी समय पर सुनवाई नहीं हो पा रही है।
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