संतों की वाणी से तर रही आत्मा, श्रद्धालुओं से पटे पर्यटक प्रदेश के रास्ते
संतों की वाणी से तर रही आत्मा, श्रद्धालुओं से पटे पर्यटक प्रदेश के रास्ते
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उज्जैन : इन दिनों मध्यप्रदेश देश का प्रमुख पर्यटक प्रदेश बन गया है। कड़ी धूप के बावजूद मध्यप्रदेश के दो ज्योर्तिलिंगों के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं के पांव खुद ब खुद आगे बढ़ रहे है। यात्री बसें उज्जैन से ओंकारेश्वर और ओंकारेश्वर से उज्जैन तक के रास्ते में खचाखच भरी हुई हैं। हालात ये हैं कि लोगों को सीटें बमुश्किल ही मिल पा रही हैं।

श्रद्धालु इस प्रदेश में आकर असीम आनंद की प्राप्ति का अनुभव कर रहे हैं। जो भी उज्जैन आ रहा है यहां पर नदी के घाटों पर स्नान और मंदिरों में दर्शन पाकर अपने आपको धन्य मान रहा है। श्रद्धालुओं को पैदल चलने पर भी थकान का अनुभव नहीं हो रहा है। श्रद्धालु उज्जैन आने के बाद विभिन्न साधनों से साधु - संतों के पांडालों में पहुंचते हैं।

इसी के साथ साधु - संतों का आशीर्वाद उन्हें प्राप्त हो रहा है। सिंहस्थ क्षेत्र में श्रद्धालुओं को चित्र विचित्र साधु सन्यासियों के दर्शन लाभ मिल रहे हैं। इसी दौरान श्रद्धालुओं को दत्तअखाड़ा जोन स्थित श्री प्रभु प्रेमी संघ के शिविर में श्री मोरारी बापू के सद्वचनों का लाभ मिल रहा है। यहां पर शनिवार से श्री मोरारी बापू 9 दिनों तक सद्वचन कहेंगे।

वे श्री राम चरित मानस का बखान करेंगे। जिसमें वे शिव कथा प्रसंगों के तहत श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन देंगे। उनकी कथा का रसपान जहां श्रोताओं द्वारा किया गया वहीं संत, महात्माओं ने भी कथा में अपनी उपस्थिति दर्शाई। इससे श्रद्धालुओं को संतों के दर्शन का लाभ मिला। मोरारी बापू ने कहा कि उनका मानस श्री महाकालेश्वर को समर्पित है।

श्री महाकालेश्वर का स्मरण करते हुए उन्होंने अपनी कथा में कहा कि परंपरा इस तरह से होना चाहिए जो पीढि़यों तक पहुंच सके। यदि वह एक जैसी होगी और जड़ हो जाएगी तो वह किसी को अच्छी नहीं लगेगी लेकिन वह प्रवाही होगी तो प्रवाहमान नदी की तरह पवित्र हो जाएगी। मानस का बखान करते हुए उन्होंने कहा कि मानस कोई किताब नहीं है इससे व्यक्ति आज का जीवन सही तरह से जी सकता है।

यह एक महामंत्र है। इस सिंहस्थ में कई संतों द्वारा अपने सद्वचनों से श्रद्धालुओं के मन को पवित्र किया जा रहा है। श्रद्धालु सुबह से देर रात तक मेला क्षेत्र में घूमकर संतों का दर्शनलाभ ले रहे हैं। यही नहीं श्रद्धालु विभिन्न पांडालों में बने अन्न क्षेत्रों में भोजन प्रसादी भी ग्रहण कर रहे हैं। साधु-संत और उनके अनुयायी आम जनता को प्रेम से भोजन परोस रहे हैं।

यह दृश्य बेहद अलग नज़र आता है। आस्था का कारवां यूं ही दिन पर दिन बढ़ते जा रहा है। सिंहस्थ मेला क्षेत्र में श्री गुूरू काष्र्णि कुंभ मेला शिविर में 30 अप्रैल तक लोकप्रिय संत परमपूज्य रमेशभाई ओझा के प्रवचनों का लाभ भी श्रद्धालु ले सकेंगे। 

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