कौन है वह, कहां से आया वह, आखिर क्यों मचल गया भंगिया को!
कौन है वह, कहां से आया वह, आखिर क्यों मचल गया भंगिया को!
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भगवान शिव को लेकर कई तरह की बातें कही जाती हैं मगर उन्हें पूरी तरह से कोई भी नहीं जान पाता. दरअसल यह बात सही भी है कि शिव जी के बारे में कोई भी पूर्ण जानकारी नहीं रख सकता. दरअसल शिव हैं ही ऐसे. साकार में वे स्वर्ग लोक, मृत्यु लोक और पाताल लोक में अवस्थित हैं. तभी तो कहा गया है आकाश में तारकलिंग पूजनीय है तो वहीं मृत्यु लोक में श्री महाकालेश्वर का पूजन होता है फिर पाताल में हाटकेश्वर स्वरूप में शिव की आराधना होती है. ऐसे में शिव को साकार स्वरूप में जानना बहुत ही कठिन है।

निराकार स्वरूप में तो शिव सृष्टि के कण-कण में विराजमान हैं। वे दीव्य ज्योर्तिपुंज हैं जिसका स्त्रोत ही किसी को ज्ञात नहीं. ऐसे अद्भुत शिव ने ही सर्वप्रथम यह कह दिया था कि कल्पना ही ज्ञान से अधिक महत्व रखती है. जिस तरह की कल्पना हम करते हैं वैसे ही हो जाते हैं. शिव ने कई तरह की ध्यान विधियों को विकसित भी किया. शिव कई तरह की कलाओं और विधाओं के आदि प्रणेता और जन्मदाता हैं। पुराणों में वर्णित है कि भगवान शिव कैलाश पर रहते हैं. भगवान शिव के इस धाम के नीचे ही पाताल है और इसके उपर वायुमंडल समाप्त हो जाने पर स्वर्ग है।

यह कैलाश पर्वत धरती का केंद्र कहा गया. हिमयुग के दौर में भगवान ने इसे ही अपना स्थान बनाया. वस्तुतः तिब्बत को ही धरती का सबसे प्राचीन भूभाग माना गया है. ऐसे में अन्य स्थल समुद्र में विलीन थे. जब समुद्र हटा तो धरती नज़र आने लगी. ऐसे में भगवान शिव का निवास हिमालयी क्षेत्र कैलाश ही माना गया है।

भगवान शिव साधक को पूर्णता प्रदान करे हैं वे ही हैं जो आदि देव हैं. शिव और शंकर एक होकर भी कुछ अलग हैं. शिव ने साधनाओं की रचना की और शंकर उसके साधक हैं. जबकि शिव इस सृष्टि के प्रारंभ से ही हैं. हालांकि शिव भी शंकर हैं और शंकर ही शिव हैं मगर गूढ़ अर्थ में दोनों को समझना आध्यात्म की गहराई में जाना है।

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