श्रीनगर : कश्मीर घाटी में आज के दिन सन् 1947 में सेना के आने के विरोध में अलगाववादियों द्वारा आहूत हड़ताल कब कारण कश्मीर में सामान्य जन जीवन प्रभावित हुआ। अधिकारियों के मुताबिक राज्य की गर्मियों की राजधानी में दुकाने और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान जैसे पेट्रोल पंप और निजी दफ्तर पर ताले लगे रहे साथ ही शहर में सड़को पर परिवहन सेवा भी नाममात्र ही दिखाई दी। उन्होंने कहा कि नियमित परिवहन सेवा की उपलब्धता नहीं होने के कारण से सरकारी दफ्तरों और बैंकों में कर्मचारियों की संख्या कम नज़र आई। शिक्षण संस्थान भी बंद रहे और कश्मीर विश्वविद्यालय ने आज के लिए निर्धारित परीक्षाओं को भी रद्द कर दिया।
अधिकारियों ने जानकारी दी की घाटी में जिला मुख्यालयों से भी बंद की सुचना मिली है। बता दे की अलगाववादी समुदायों ने कश्मीर में 27 अक्तूबर 1947 को सेना के आने के विरोध में आम हड़ताल आहूत की है। सेना ने यहां आने के बाद पाकिस्तान के कबायली हमलावरों को खदेड़ने का अभियान चलाया था। इससे एक दिन पहले तत्कालीन जम्मू कश्मीर के महाराज हरि सिंह ने भारतीय संघ के साथ विलय के लिए दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर दिए थे। राज्य में 1989 में उग्रवाद फैलने के बाद से अलगाववादी संगठन हर साल इस दिन हड़ताल का आह्वान करते हैं।