सुप्रीम कोर्ट बताएगा : भगवान बालिग है या नाबालिग
सुप्रीम कोर्ट बताएगा : भगवान बालिग है या नाबालिग
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नई दिल्‍ली: न तो भगवान नजर आते है और न ही उन्हें किसे ने देखा है, लेकिन उनके वजूद को पृथ्वी पर माना गया है। आम इंसानों की तरह भगवान की भी सम्‍पत्ति होती है जैसे सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्‍या में रामलला के अधिकारों को बनाए रखा और रामजन्‍म भूमि विवाद में रामलला के पक्ष में फैसला सुनाया। लेकिन अब इस बात को लेकर बहस छिड़ गयी है कि भगवानो को उनकी सम्‍पत्ति रखने के लिए बालिग समझा जाए या फिर उनकी सेवा करने वाले पुजारी को उस सम्‍पत्ति का उपभोग करने दिया जाए।

भारतीय कानून के मुताबिक सालो साल से हिन्‍दू मंदिरों की जमीन उस पर स्थित मंदिर के देवता के नाम रहती आई है। लेकिन राजस्‍थान हाई कोर्ट ने मंदिर प्रशासन और उसके रख-रखाव से जुड़े नियमों को बदलते हुए फैसला सुनाया है। कोर्ट के मुताबिक नाबालिग होने की वजह से देवता अपनी जमीनों और सम्‍पत्ति का उपभोग खुद नहीं कर सकते हैं ऐसे में मंदिर की संम्‍पत्ति राज्‍य सरकार के हवाले कर देनी चाहिए। कोर्ट का एरह फैसला उन पुजारियों के लिए करारा झटका है जो मंदिर की सम्‍पत्ति और जमीन का उपयोग करते हुए खुद का पालन पोषण करते आए हैं।

हाई कोर्ट के इस फैसले को अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और याचिकार्ता ने अपनी दलील में कहा है कि इस फैसले से लाखों छोटे मंदिर प्रभावित होंगे। वहीं दूसरी तरफ इस फैसले को धर्म के अधिकार का हनन बताते हुए महंत दामोदर दास और सरदर्शन मंदिर के भगवान श्री ठाकुर जी ने भी वकील मनीष सिंघवी के माध्‍यम से फैसले को चुनौती दी है। याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर करते हुए जस्टिस दीपक मिश्रा और पीसी पंत ने 16 नवंबर को राजस्‍थान सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है।

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