राम मंदिर में शिवसेना का योगदान पूछने पर भड़के संजय राउत, बोले- 'हिन्दुत्व के मैदान के भगोड़े हमसे सवाल न पूछे'
राम मंदिर में शिवसेना का योगदान पूछने पर भड़के संजय राउत, बोले- 'हिन्दुत्व के मैदान के भगोड़े हमसे सवाल न पूछे'
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मुंबई: 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में राम मंदिर में भगवान रामलला की मूर्ति के प्रतिष्ठा समारोह के लिए विपक्षी नेताओं को निमंत्रण नहीं दिए जाने पर विवाद छिड़ गया है। अब शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने महाराष्ट्र सरकार के मंत्री गिरीज महाजन की टिप्पणी पर ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने गिरीश महाजन से कहा कि उद्धव ठाकरे पर सवाल उठाने वालों को पहले स्वयं जवाब देना चाहिए राम मंदिर निर्माण में उनका क्या योगदान है.

दरअसल, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री गिरीश महाजन ने राम मंदिर निर्माण में उद्धव ठाकरे योगदान पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में न बुलाए जाने पर उन्हें बुरा नहीं मानना चाहिए. हम स्वयं राम मंदिर आंदोलन के गवाह हैं, दो बार हमने कार सेवा में हिस्सा लिया तथा 20 दिन जेल में रहे. उस समय उद्धव कभी अयोध्या नहीं गए. उनका आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है. गिरीश महाजन की इसी टिप्पणी पर मंगलवार को संजय राउत ने कहा कि जो पूछ रहे है कि शिवसेना का क्या योगदान है राम मंदिर के लिए .. मैं उनको याद दिलाना चाहता हूं कि आंदोलन के वक़्त बाबरी हमारे सामने टूटी थी... ये लोग जो आज स्वयं को योद्धा समझते हैं वो तो वहां से डर कर भाग गए थे..., मगर वहां शिवसेना के नेता खड़े थे... ये भगोड़े हमसे क्या पूछेंगे योगदान... हिन्दुत्व के मैदान के भगोड़े हमसे सवाल न पूछें. 

अयोध्या के लड़ाई में यदि किसी का योगदान रहा है तो लाल कृष्ण आडवाणी और दूसरे हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे, अशोक सिंघल, विश्व हिंदू परिषद के उसे समय के प्रमुख श्री विनायक कटिहार, उमा भारती आप कहां थे उसे वक्त. उन्होंने इंडिया गठबंधन के प्रधानमंत्री पद के चेहरे पर बोलते हुए कहा कि हमारी लड़ाई तानाशाही एवं हिटलर शाही के खिलाफ है और हमारे पास एक से अधिक चॉइस हैं. भारतीय जनता पार्टी के पास एक ही घिसा पिटा चेहरा है. हमारे पास प्रधानमंत्री के लिए प्रियंका, खड़गे साहब, उद्धव ठाकरे जैसे नेता हैं. संजय राउत ने उपराष्ट्रपति मिमिक्री से जुड़े जाट अपमान के मुद्दे पर बोलते हुए कहा- देखो यह एक प्रकार की कला है जो हमारे देश की संस्कृति में पहले से मौजूद है. यदि कोई अच्छा कलाकार है तो उसका सपोर्ट करना चाहिए. राष्ट्रपति के पद का सम्मान है. ये तो साहित्य में भी होता आया है, कई कलाकार बड़े-बड़े नेताओं की मिमिक्री करते आए हैं. ये बहुत कॉमन बात है. 

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