रांची : देश में सांप्रदायिक घटनाओं का हवाला देते हुए पिछले दिनों साहित्य अकादमी अवार्ड लौटाने वाले लेखकों पर राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ ने पहली बार अपनी प्रतिक्रिया दी है। संघ ने इसे हताशा भरी कार्रवाई बताते हुए कहा है कि यह साहित्यकारों का एक गिरोह है, जो मोदी और संघ के खिलाफ षड्यंत्र रच रहा है। संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक आरंभ होने के बाद सह सर कार्यवाहक दतात्रेय होसबोले ऐसे लोग जो राजनीति के पूर्वाग्रह से ग्रसित और हताश है, वो अपनी दुकानकारी चलाना चाहते है।
इस बाबत उन्होने कहा कि हाशिए पर चल रहे लोग संघ को सहिष्णुता का पाठ न पढ़ाए। पिछले साठ साल से ये तताकथित लोग कहाँ थे, जब हमें अपनी बात नही रखने दी गई। बार-बार आवाज दबाने की कोशिश की गई। जो कल तक राष्ट्रवादी सोच विचार पर चर्चा तक करने को तैयार नही थे, वो आज सहिष्णुता की बात कर रहे है। इससे पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत व भैया जी ने भारत माता के सामने दीपक जलाकर तीन दिवसीय बैठक का शबारंभ किया। कड़े शब्दों में संघ ने कहा हमें आज तक पंचिंग बैग की तरह इस्तेमाल किया गया। हम कोई पंचिंग बैग नही है, हम हर मसले पर बात चीत को तैयार है।
आरक्षण के मुद्दे का पक्ष लेते हुए उन्होने कहा कि आरएसएस संविधान के दायरे में आरक्षण की पक्षधर है। 1981 में ही संघ ने एक प्रस्ताव पारित कर आरक्षण का समर्थन किया था। मजहबी आरक्षण का संविधान में कोई प्रावधान नही है। कार्यवाहक ने संघ की उपलब्धियाँ भी बताई और कहा कि संघ में 60 फीसदी युवा है। संघ ने ग्राम विकास का काम अपने हाथ में लिया है। शाखाओं का भी विस्तार हो रहा है।