भाद्रपद की पूर्णिमा अर्थात 20 सितंबर 2021 से अश्विन माह की अमावस्या अर्थात 6 अक्टूबर तक श्राद्ध पक्ष रहने वाला है, यानि सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या 6 अक्टूबर को है। आप सभी जानते ही होंगे कि पितृ पक्ष श्राद्ध में तर्पण, पिंडदान और पूजन करना चाहिए और इन सभी का एक निश्चित समय होता है। अगर आप सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध करने जा रहे हैं तो आज हम आपको बताते हैं इसके लिए उचित समय क्या है?
1. शास्त्रों के अनुसार कुतुप, रोहिणी और अभिजीत काल में श्राद्ध करना चाहिए। कहा जाता है यही सही समय है श्राद्ध करने का।
2. कहते हैं कुतुप काल दिन के 11:30 बजे से 12:30 के मध्य का समय होता है। वहीं 'कुतुप बेला' दिन का आठवां मुहुर्त होता है। आपको बता दें कि पाप का शमन करने के कारण इसे 'कुतुप' कहा जाता है।
3. अभिजीत मुहूर्त भी उपरोक्त काल के मध्य का समय ही होता है, हालांकि सर्वपितृ अमावस्या पर अभिजीत मुहूर्त नहीं है।
4. रोहिणी काल अर्थात रोहिणी नक्षत्र काल के दौरान श्राद्ध किया जा सकता है। आपको बता दें कि सर्वपितृ अमावस्या पर हस्त नक्षत्र रहने वाला है।
5. अग्नि पुराण के मुताबिक प्रात:काल देवताओं का पूजन होता है और मध्याह्न में पितरों का, जिसे 'कुतुप काल' कहते हैं। इसका मतलबा है कि श्राद्ध का समय तब होता है जब सूर्य की छाया पैरों पर पड़ने लगे। वहीं मध्याह्न काल श्राद्ध कर्म के लिए सबसे उपयुक्त है।
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