'बार-बार ब्रेक नहीं लेना चाहिए', टीम इंडिया के हेड कोच राहुल द्रविड़ पर भड़के रवि शास्त्री
'बार-बार ब्रेक नहीं लेना चाहिए', टीम इंडिया के हेड कोच राहुल द्रविड़ पर भड़के रवि शास्त्री
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भारतीय टीम इस समय न्यूजीलैंड दौरे पर है और यहाँ उसे तीन-तीन मैचों की वनडे और टी20 सीरीज में भाग लेना है। हालाँकि इस दौरे के लिए कप्तान रोहित शर्मा समेत सीनियर खिलाड़ियों को रेस्ट दिया गया है जिसके चलते हार्दिक पंड्या टी20 और शिखर धवन वनडे सीरीज में टीम की कप्तानी करेंगे। केवल यही नहीं बल्कि चौंकाने वाली बात तो यह भी है कि हेड कोच राहुल द्रविड़ ने भी ब्रेक लिया है। जी दरअसल द्रविड़ की अनुपस्थिति में वीवीएस लक्ष्मण बतौर कोच टीम के साथ न्यूजीलैंड गए हैं। ऐसे में रवि शास्त्री भड़क गए हैं और उन्होंने सवाल खड़े किए हैं।

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जी दरअसल रवि शास्त्री ने कहा है कि 'एक कोच को व्यावहारिक होना चाहिए, अपने खिलाड़ियों के साथ अधिक समय बिताना चाहिए और बार-बार ब्रेक नहीं लेना चाहिए।' वैसे यह कोई पहली बार नहीं है कि द्रविड़ ने रेस्ट लिया है। जी हाँ, बल्कि इससे पहले वह आयरलैंड और जिम्बाब्वे के दौरे पर भी नहीं गए थे और दोनों ही मौके पर वीवीएस लक्ष्मण ने कार्यभार संभाला था। हाल ही में रवि शास्त्री ने प्राइम वीडियो द्वारा आयोजित एक कॉल के दौरान पत्रकारों से कहा, 'मैं ब्रेक में विश्वास नहीं करता। मैं अपनी टीम और खिलाड़ियों को समझना चाहता हूं और फिर उस टीम के नियंत्रण में रहना पसंद करता हूं। ईमानदारी से कहूं तो आपको इतने ब्रेक की क्या जरूरत है? आपको आईपीएल के दो-तीन महीने मिलते हैं। जो एक कोच के रूप में आराम करने के लिए पर्याप्त हैं। दूसरी बात जो मुझे लगती है वो यह है कि एक कोच को व्यावहारिक होना चाहिए चाहे वह कोई भी हो।'

इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा, 'मैं कुछ भी इंगित नहीं करना चाहूंगा। लेकिन भविष्य में भारतीय टीम के पास खिलाड़ियों के लिए रोल की पहचान करने, मैच विजेताओं की पहचान करने और इंग्लैंड के टेम्पलेट पर काफी हद तक जाने का अवसर है। इंग्लैंड एक ऐसी टीम हैं जिसने वास्तव में पकड़ बनाई है। 2015 के विश्व कप के बाद इंग्लिश क्रिकेट में जबरदस्त शोर मच गया था। उन्होंने विचार-विमर्श किया और ठान लिया कि वे लिमिटेड ओवर्स फॉर्मेट के लिए बेस्ट खिलाड़ियों को खोजेंगे।' 

शास्त्री ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा, इसका मतलब ये था कि इंग्लैंड की टीम से कुछ सीनियर खिलाड़ियों को बाहर बैठना पड़ा। उन्हें ऐसे युवा मिले जो निडर थे और जो अपने खेल को बहुत अधिक बदले बिना उस पैटर्न के अनुकूल हो सकते थे। तो यह एक खाका है जिसका आसानी से पालन किया जा सकता है। भारत के पास टैलेंट का खजाना है। मुझे लगता है कि यह इस दौरे से शुरू हो सकता है क्योंकि जब आप इस टीम को देखते हैं, तो यह एक फ्रेश और युवा पक्ष है, आप इसे पहचान सकते हैं और तैयार कर सकते हैं। आप इस भारतीय टीम को दो साल में आगे ले जा सकते हैं।'

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