मोदी सरकार ने ख़त्म की 92 वर्ष पुरानी परंपरा, अब आम बजट के साथ ही पेश होता है रेल बजट
मोदी सरकार ने ख़त्म की 92 वर्ष पुरानी परंपरा, अब आम बजट के साथ ही पेश होता है रेल बजट
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नई दिल्ली: पहले की सरकारों में देश के आम बजट और रेलवे बजट संसद में अलग-अलग दिन पेश होता था। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 92 वर्ष पुरानी प्रथा को समाप्त कर दिया और 2017 से रेलवे बजट की घोषणा भी आम बजट में ही वित्त मंत्री ही करने लगे। इससे पहले आम बजट से एक दिन पहले रेल मंत्री रेलवे बजट पेश करते थे। 

आम बजट में रेलवे बजट को विलय करने के साथ ही जेटली ने बजट पेश करने की तिथि भी बदल दी। बजट अब लगभग एक महीना पूर्व 1 फरवरी को पेश होने लगा है। इसके साथ ही इकॉनमिक सर्वे भी 31 जनवरी को आने की शुरुआत हो गई। जल्दी बजट पेश करने के साथ ही रेलवे और आम बजट के विलय का निर्णय सरकार ने बजटीय सुधारों के तहत लिया। उल्लेखनीय है कि अलग से रेलवे बजट की प्रथा 1924 में ब्रिटिश शासन में आरंभ की गई थी, क्योंकि सरकार के राजस्व का एक बड़ा भाग और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) रेलवे द्वारा अर्जित राजस्व पर निर्भर रहता था।

उस वक़्त रेलवे से प्राप्त राजस्व अनुपातिक रूप से बहुत ज्यादा था। रेलवे का बजट कुल केंद्रीय बजट के 80 प्रतिशत से अधिक होता था। नीति आयोग ने भी सरकार को दशकों पुराने इस चलन को समाप्त करने की हिदायत दी थी। काफी सोच-विचार और अलग-अलग अथॉरिटीज के साथ मंथन के बाद सरकार ने रेलवे बजट को आम बजट के साथ मर्ज करने का फैसला लिया। यह विचार व्यावहारिक था क्योंकि आम बजट की तुलना में अब रेलवे बजट का हिस्सा काफी कम है। 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री जेटली ने केंद्रीय और रेलवे बजट को एक साथ पेश किया। 

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