रेल कर्मचारी ने बैटरी से चलने वाली साइकिल का निर्माण किया
रेल कर्मचारी ने बैटरी से चलने वाली साइकिल का निर्माण किया
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जबलपुर के एक रेल कर्मचारी ने बैटरी से चलने वाली साइकिल का निर्माण किया है. ये  रेल कर्मचारी हैं बसंत गोरे. बसंत गोरे ने बैटरी से चलने वाली साइकिल के लिए पुरानी साइकिल का उपयोग किया हैं. बैटरी से चलने वाली साइकिल पर्यावरण के लिए भी ठीक है और पेट्रोल के बढ़ते दामों से भी लोगों को निजाद मिल सकेगी. 

बसंत गोरे तो अपनी बनाई इस साइकिल का उपयोग कार्यालय में आने जाने के लिए भी करते हैं. बैटरी से चलने वाली साइकिल के निर्माण को लेकर बसंत गोरे का कहना है कि  यूट्यूब और इंटरनेट पर इसकी टेक्नोलॉजी के बारे में पढ़ा और स्वयं ही बैटरी से चलने वाली साइकिल का निर्माण कर लिया. अपनी बनायी साइकिल से कार्यालय जाने में बसंत गोरे की काफी आर्थिक बचत भी हो जाती है. पहले जहां उन्हें  एक महीने में पेट्रोल पर करीब 25 सौ रुपए तक खर्च करना पड़ते थे वहीं बैटरी वाली साइकिल से खर्च 210 रुपए तक सिमित रह गया है.

बैटरी से चलने वाली साइकिल का ख्याल बसंत गोरे को पेट्रोल की बढ़ती हुई कीमत के कारण आया. बसंत गोरे फिलहाल जबलपुर रेल मंडल के व्यवसायिक विभाग में रिजर्वेशन सुपरवाइजर के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं. 

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