रेलों के पहिए थमने से यात्रियों की हो रही फजीहत
रेलों के पहिए थमने से यात्रियों की हो रही फजीहत
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उज्जैन : गुर्जर आंदोलन भले ही राजस्थान में हो रहा हो लेकिन इसका असर मालवा में भी पड़ा है और यही काण है कि रेलों के पहिए थम से गए है तथा इस कारण नगर के यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड रहा है। अधिकांश रेलों का मार्ग परिवर्तित होने के कारण उज्जैन तथा आस-पास के यात्रियों को या तो अपनी यात्रा को स्थगित करना पड रहा हैं या फिर बसों या अन्य वाहनों से यात्रा करना मजबूरी बन गई है। इधर रेलों के मार्ग परिवर्तित होने के कारण राजस्थान क्षेत्रों में चलने वाली निजी बसों आदि वाहनों के संचालकों की चांदी कटने लगी है क्योंकि इन क्षेत्रों की यात्रा करने वाले लोग रेलों के संचालन ठप होने के कारण निजी बसों का ही सहारा ले रहे हैं।

राजस्थान में पिछले दो तीन दिनों से गुर्जर आंदोलन चल रहा है। अपनी मांगों को लेकर आंदोलन किया जा रहा है। चुंकि आंदोलन के तहत रेलों को रोका जा रहा है इसलिये रेल प्रषासन की ओर से न केवल कई रेलों को रद्द कर दिया गया है वहीं यात्रियों की परेषानी को कम करने के उद्देष्य से कई रेलों के मार्गों को भी परिवर्तित कर दिया गया है। इसका असर उज्जैन पर भी पड़ा है क्योंकि राजस्थान की ओर जाने वाली अधिकांष रेलों का सफर उज्जैन से ही होकर तय होता है तथा यहां से बडी संख्या में लोग सफर करते है लेकिन जब से आंदोलन प्रारंभ हुआ है तभी से नगर के यात्रियों को परेषानी का सामना करना पड रहा है।

आज भी निजामुद्दीन एक्सप्रेस सहित अन्य कई रेलों के मार्गों को परिवर्तित कर दिया गया है, इस कारण उन यात्रियों को परेषानी आई जिन्हें या तो सामान्य कोचों में बैठकर संबंधित क्षेत्रों की यात्रा करना थी या फिर जिन्होंने पहले से ही आरक्षण करा रखा था लेकिन रेलों के मार्ग परिवर्तन की जानकारी ऐन वक्त पर मिलने के कारण यात्रियों के सामने नई मुसीबत खडी हो गई। इसके बाद यात्री न केवल अपनी यात्रा स्थगित करने के लिए आरक्षण को रद्द कराने के लिए रेलवे के आरक्षण कार्यालय पहुंचे वहीं कई यात्रियों ने यात्रा को आगे बढ़ा लिया। इधर रेलवे के अधिकारियों का कहना था कि यात्रियों की परेषानी को देखते हुए ही अधिकांष रेलों के मार्गों को बदल दिया गया है।

हालांकि यह बात अलग थीं कि कुछ एक रेलों का मार्ग बदलने के बाद उज्जैन रेलवे स्टेषन से रेलें गुजरेगी नहीं और ऐसे में या तो यात्रियों को निजी बसों का ही सहारा लेना पडेगा या फिर टैक्सी आदि से सफर करना पड जाएगा। यात्रियों की षिकायत यह भी थी कि वे रेलवे स्टेषन पर जाकर रेलों के संबंध में जानकारी लेना चाह रहे थे लेकिन उन्हें सही जानकारी नहीं दी गई और इससे वे परेषान होते रहे। जबकि निजी बस संचालकों का कहना था कि रेलों का संचालन निरस्त हो तथा मार्ग बदलाव के बाद उनके यहां यात्रियों की संख्या में बढोतरी हो गई है। बस संचालकों ने बताया कि रेल और बसों के किराये में ज्यादा फर्क नहीं है और यही कारण है कि जो लोग रेलों से यात्रा करना चाह रहे थे वे बसों से यात्रा करने के लिए बुकिंग के लिए पहुंच रहे है।

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