सड़को पर रद्दी बीनने वाली महिला का टर्न ओवर 1 करोड़ रुपये...
सड़को पर रद्दी बीनने वाली महिला का टर्न ओवर 1 करोड़ रुपये...
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अहमदाबाद  : वो महिला कभी 35 साल पहले अहमदाबाद की सड़कों से रद्दी बीना करती थी. हर रोज 5 रुपये कमा लिया करती थी। आज वही सड़को पर रद्दी बीनने वाली महिला 400 सदस्यों वाली क्लीनर्स को-ऑपरेटिव चलाती है जिसका टर्नओवर अब करोड़ रुपये हो चुका है। एक अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार 60 साल की मंजुला की सहकारी समिति जो अहमदाबाद की 45 संस्थाओं और सोसायटीज को अपनी सेवा  मुहैया कराती है।

मंजुला की जिंदगी ने तब करवट ली जब ईलाबेन भट्ट की सेल्फ एंप्लॉयीड विमिंस असोसिएशन (सेवा) के संपर्क में वह आई। सेवा की मदद से सफाई सेवाएं देने वाली 'श्रीसौन्दर्य सफाई उत्कर्ष सहकारी मंडली लिमिटेड' किओ शुरुआत हुई। इसमें शुरूआती दौर में 40 महिलाएं काम करती थीं।

मंजुला के अनुसार सबसे पहले अहमदाबाद के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन ने उन्हें काम दिया। इसके बाद फिजिकल रिसर्च लैब ने हमारी संस्था की 15 महिलाओं को काम दिया, 5 साल तक निरंतर प्रयास करने के बाद  हमारी समिति का पंजीयन हुआ क्योंकि हमारा स्वयं सहायता समूह कोई उत्पाद नहीं बेच रहा था बल्कि सेवाएं दे रहा था।

ट्रेनिंग के कई दौर से निकलने के बाद सौन्दर्य मंडली दिन प्रतिदिन मजबूती बढाती जा रही है, राष्ट्रीय स्तर के कई संस्थानों और अहमदाबाद के कई संस्थानों में सफाई सेवाएं देने के अलावा मंडली ने वाइब्रेंट गुजरात समिट की सौन्दर्यता की भी जिम्मेदारी ले रखी है। मंजूला इस बारे में बताती हैं की 1 करोड़ का टर्नओवर होना उनके लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है लेकिन उनका अब   अगला लक्ष्य अनपढ़ महिलाओं को टेक सेवी बनाना होगा जिससे वह कुशलता के साथ ई-टेंडरिंग भी कर सकें।

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