नई दिल्ली : निकट भविष्य में यदि आपको अंग्रेजी बोलने वाले अतिविशिष्ट व्यक्तियों और मंत्रियों को हिंदी में भाषण देते देखें तो हैरान मत होना,क्योंकि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हिंदी में भाषण देने की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है.यह सिफारिश भाषाओं को लेकर बनी संसदीय समिति ने की थी.
बता दें कि समिति की सिफारिश में कहा गया था कि राष्ट्रपति और मंत्री सहित सभी गणमान्य लोग अगर हिंदी बोल और पढ़ सकते हैं तो उन्हें इसी भाषा में भाषण देना चाहिए. समिति ने छह साल पहले हिंदी को लोकप्रिय बनाने और इस मसले पर राज्य-केंद्र से विचार-विमर्श के बाद करीब 117 सिफारिशें की थी.राष्ट्रपति ने इसको स्वीकृति के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय, सभी मंत्रियों और राज्यों को भेजा है. प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल इस जुलाई में समाप्त हो रहा है. संभव है कि जो भी अगला राष्ट्रपति बनेगा वह हिंदी में ही भाषण देगा. स्मरण रहे कि भाषा को लेकर बनी संसदीय समिति ने राष्ट्रपति को 1959 से अब तक नौ रिपोर्ट दी हैं.आखिरी बार इस तरह की रिपोर्ट 2011 में दी गई थी.
यही नहीं राष्ट्रपति मुखर्जी ने एयर इंडिया की टिकटों पर भी हिंदी का उपयोग करने की सिफारिश मान लिया है. साथ ही एयरलाइंस में यात्रियों के लिए हिंदी अखबार और पत्रिकाएं उपलब्ध कराना भी शामिल है. अब सभी सरकारी और अर्ध सरकारी संगठनों को अपने उत्पादों की जानकारी हिंदी में भी देगी होगी.संसदीय समिति ने सीबीएसई और केंद्रीय विद्यालय स्कूलों में कक्षा आठ से 10 तक हिंदी को अनिवार्य विषय करने की भी अनुशंसा की थी. राष्ट्रपति ने इसे सैद्धांतिक रूप से मान लिया है.
हालांकि सरकारी साझेदारी वाली और निजी कंपनियों में बातचीत के लिए हिंदी को अनिवार्य करने की सिफारिश को ठुकरा दिया गया है. इसी तरह सरकारी नौकरी के लिए हिंदी के न्यूनतम ज्ञान की अनिवार्यता की सिफारिश को भी ना कह दिया गया है.
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