कैंसर, डायबिटीज जैसी कई खतरनाक बीमारियो का इलाज है यह फल
कैंसर, डायबिटीज जैसी कई खतरनाक बीमारियो का इलाज है यह फल
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आलूबुखारे का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। कहते हैं कि एक कटोरा भर के फलों में जितने पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं उतने ही एक आलूबुखारे में होते हैं। आलूबुखारा कई पोषक तत्वों और मिनरल्स से भरपूर होता है। इसमें विटामिन, कैल्शियम, मैगनीशियम, कॉपर, आयरन, पोटेशियम और फाइबर मौजूद होते हैं। आलूबुखारा खाने से कैंसर, डायबिटीज और मोटापे संबंधी कई गंभीर रोगों में आराम मिलता है

अस्थिभंग की आशंका नहीं -

एक शोध के अनुसार रोजाना आलूबुखारा खाने से अस्थिभंग यानी हड्डियों की क्षति की आशंका को कम किया जा सकता है। आयु बढऩे के साथ ही हड्डी टूटने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में सूखा आलूबुखारा हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है। एक नए अध्ययन में पता चला है कि आलूबुखारा हड्डी टूटने से बचा सकता है। अध्ययन के अनुसार यदि महिलाएं रजोनिवृत्ति के बाद इस फल का सेवन करें तो वे स्वयं को ओस्टियोपोरेसिस और हड्डी टूटने से बचा सकती हैं।

अध्ययन में पता चला है कि प्रतिदिन 10 आलूबुखारा खाने से अस्थिभंग की आशंका को कम किया जा सकता है। आयु बढने के साथ ही हड्डी टूटने का खतरा बढ़ जाता है। सूखा आलूबुखारा हड्डियों को मजबूती प्रदान करने के लिए सूखे अंजीर, सूखे स्ट्रॉबेरी, सूखे सेब और किशमिश से अधिक लाभकारी है।

इसके लाभ हैं कई -

आलूबुखारे में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है। इससे पेट संबंधी समस्या दूर होकर पाचनक्रिया दुरुस्त रहती है। इसके सेवन से पेट में भारीपन नहीं होता है और आंतों को भी आराम मिलता है। आलूबुखारे में फैट की मात्रा कम होती है जिससे मोटापा नहीं बढ़ता और वजन नियंत्रण में रहता है। इसमें विटामिन ए और बीटा कैरोटीन अधिक मात्रा में होता हैं। विटामिन-ए, आंखों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

आलूबुखारे में पोषक फाइबर जिया एक्साथिन होता है जो आंखों के रेटिना को मजबूत बनाता है। आलूबुखारा कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है। इसमें घुलनशील फाइबर होता है जो शरीर में बढऩे वाले कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण रखता है। यह बालों से संबंधित समस्याओं में राहत दिलवाने में मदद करता है।

इन बातों का रखें ध्यान -

आलूबुखारे में आयरन होता है जो एनीमिया (रक्त की कमी) के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट की मौजूदगी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। इसके कई तरह के पोषक तत्व शरीर को नियंत्रित करने का काम करते हैं। कोई भी व्यक्तिइसे खा सकता है लेकिन जिन्हें गले में खराश, खांसी और जुकाम की समस्या हो वे इन्हें खाने से परहेज करें। एक दिन में इनकी 100 से 150 ग्राम मात्रा खाई जा सकती है। जहां तक संभव हो इन्हें इनके मौसम में ही खाना चाहिए।

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