गोरखपुर दंगा मामले में सीएम योगी के खिलाफ याचिका ख़ारिज, याचिकाकर्ता पर 1 लाख जुर्माना
गोरखपुर दंगा मामले में सीएम योगी के खिलाफ याचिका ख़ारिज, याचिकाकर्ता पर 1 लाख जुर्माना
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लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वर्ष 2007 के गोरखपुर दंगा मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बार-बार याचिका दाखिल करने को लेकर याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. बता दें कि इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय भी अपना फैसला सुना चुका है. 

रिपोर्ट के अनुसार, गोरखपुर में 27 जनवरी, 2007 मुहर्रम के जुलूस के दौरान दो समूहों के बीच हुए संघर्ष में एक हिंदू व्यक्ति की मौत हो गई थी. याचिकाकर्ता परवेज परवाज (पत्रकार) ने 26 सितंबर, 2008 को एक शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया था कि भाजपा के तत्कालीन स्थानीय सांसद योगी आदित्यनाथ ने युवक की मौत का बदला लेने के लिए भड़काऊ भाषण दिया था, जिसका वीडियो भी उसके पास मौजूद है. इसके बाद राज्य सरकार ने केस चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया. सरकार के फैसले को आवेदक ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया.

इसके बाद याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने भी इस याचिका को खारिज कर दिया. दरअसल, याचिकाकर्ता ने ट्रायल कोर्ट के 11 अक्टूबर, 2022 के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें न्यायालय ने दंगा मामले में पुलिस की फाइनल रिपोर्ट के खिलाफ विरोध याचिका खारिज कर दी थी. न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 482 (हाई कोर्ट की शक्तियां) के तहत परवाज़ और अन्य की याचिका को खारिज करते हुए उनपर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जिसे चार हफ्ते के अंदर सेना कल्याण कोष में जमा करना होगा. ऐसा न करने पर याचिकाकर्ता की संपत्ति से भू-राजस्व के बकाया के तौर पर वसूल किया जाएगा. 

हाई कोर्ट ने याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि, 'याचिकाकर्ता एक व्यस्त निकाय मालूम होता है, जो खुद कई आपराधिक मुकदमों का सामना कर रहा है और वह 2007 से इस केस को लड़ रहा है. याचिकाकर्ता को ट्रायल कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के सामने इस मामले को लड़ने के लिए वकीलों को नियुक्त करने में काफी खर्च करना पड़ रहा होगा.'

वहीं, राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष गोयल ने दलील दी कि याचिका में उठाए गए मुद्दे और इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट तक अंतिम रूप प्राप्त कर चुके थे. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता को एक ही मुद्दे को बार-बार उठाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है. हाई कोर्ट ने संबंधित पक्षों को सुनने के बाद कहा कि मुझे लगता है कि ट्रायल कोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित किए जाने के बाद उक्त प्रश्न पर जाने से इनकार कर दिया है. 

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