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नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की मुख्यमंत्री उम्मीदवार रहीं प्रथम महिला आईपीएस किरण बेदी ने यहां अपनी पराजय पर कहा कि दिल्ली में वह फ्लॉप नहीं हुई हैं, बल्कि जनता की सोच फ्लॉप हुई है। एक कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की राजधानी पहुंचीं किरण ने कहा, "लोकतंत्र में लोग सिर्फ चेहरा देखकर वोट नहीं देते। चुनाव में मुझे केवल 17 दिन मिले थे और मैंने हर दिन मेहनत की। 24 घंटों में सिर्फ तीन घंटे सोई। समय कम मिला, इसलिए मैं हारी नहीं, जीती हूं।"
किरण बेदी यहां के एक निजी होटल में एक्सिलेंस गुरुकुल फाउंडेशन की ओर से आयोजित 'मोटिवेशनल सीरीज पावर थिंकर्स' के चौथे सत्र को संबोधित कर रही थीं। इसी दौरान उन्हें श्रोताओं के इस सवाल पर उन्हें सफाई देनी पड़ी कि आखिर वह दिल्ली में फ्लॉप क्यों हुईं।
केंद्र में मोदी सरकार आई, फिर भी महंगाई कम नहीं हुई और देश में विकास भी रफ्तार नहीं पकड़ रहा है, पत्रकारों के यह कहने पर किरण ने कहा, "मुझे देश के विकास की चिंता है। आने वाले पांच साल में देश में विकास हो, इसके लिए चिंता करती हूं।"
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की रैली के दौरान राजस्थान के किसान की आत्महत्या मामले पर बोलने से इनकार करते हुए उन्होंने कहा, "किसी की आत्महत्या पर मैं सियासी बयान नहीं देना चाहती।"
जनता की सोच पर अफसोस करते हुए किरण बेदी ने कहा, "दस्यु सुंदरी फूलन देवी को लोकतंत्र में जगह मिली। इसके पीछे जनता का ही हाथ था। जनता देश हित की बजाय निजी स्वार्थ के बारे में पहले सोचती है। चुनाव में एक-दो हजार रुपये मिल जाएं तो कमाई हो जाए। केवल इतनी सोच रखती है जनता।"
अन्ना हजारे के आंदोलन से जुड़ी रहीं किरण बेदी राजनीति को दूर से सलाम करती रही हैं, मगर दिल्ली में चुनाव की घोषणा के बाद चार महीने पहले ही वह केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हुईं। उन्होंने कहा कि आज भी जो लोग जनप्रतिनिधि बनकर बैठे हैं, उन पर कई आपराधिक रिकार्ड दर्ज हैं।