भारत के बाद पाकिस्तान ने भी दिखाई मानवियता, 163 मछुआरे रिहा
भारत के बाद पाकिस्तान ने भी दिखाई मानवियता, 163 मछुआरे रिहा
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कराची : आमतौर पर नापाक हरकते करने वाला पाकिस्तान ने आज सद्भावना का परिचय देते हुए आज 163 भारतीय मछुआरों को जेल से रिहा किया. भारतीय कैदियों का कहना है कि पाकिस्तानी जेल में बंद वहां के कैदियों ने उनके साथ अच्छा व्यवहार किया. वहां की जेल में हमारे साथ अच्छा व्यवहार किया जाता था. रिहा हुए कोडिनार के हरसीभाई का कहना है कि मैं पहले दूसरे मछुआरे से सुनाकरता था कि वहां हमारे कैदियों के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता था, अपशब्द कहे जाते थे लेकिन अब ऎसा नहीं दिखता है. वहीँ दीव के कालूभाई का भी कहना है कि वहां के कैदियों का व्यवहार इतना अच्छा था कि वे उन्हें अपने घर से मंगाई गई खाने की वस्तुएं भी देते थे.

इसके अलावा अन्य कैदियों का भी इस बारे में यही कहना है की पाकिस्तानी जेल में हमसे अच्छा व्यवहार किया गया. पाकिस्तान ने 163 भारतीय मछुआरों को रिहा किया. इन मछुआरों को पहले लांदी जेल से कराची रेलवे स्टेशन लाया गया. इसके बाद यहां से इन्हें लाहौर रेलवे स्टेशन पहुचाया गया. लाहौर से कड़ी सुरक्षा में यह बस से मार्फत वाघा बॉर्डर पहुंचे. यहां पर इन्हें भारतीय प्रशासन को सौंप दिया गया.

इसके बाद इन सभी को अटारी से अमृतसर ले जाया गया. जिसके बाद अमृतसर से गोल्डन टेम्पल एक्सप्रेस से इन्हें वडोदरा पहुचाया गया. वडोदरा से जबलपुर-सोमनाथ एक्सप्रेस ट्रेन से 82 मछुआरे वेरावल व बाकि 81 मछुआरे वडोदरा से बस से वेरावल पहुचे. मछुआरों ने अपनी रिहाई के लिए पाकिस्तानी दानवीर अब्दुल सत्तार ईधी का धन्यवाद किया. जनसेवा के लिए रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित ईधी गुजरात के मछुआरों का खूब ध्यान रखते हैं. जेल से रिहाई के समय उन्होंने सभी मछुआरों को पांच-पांच हजार रूपए तथा उनके व उनके परिवार के लिए कपड़े दिए.

गौरतलब है कि इससे पहले भारत सरकार ने एक बार फिर अपनी मानवियता का परिचय देते हुए शुक्रवार को देश की जेलों से रिहा किए गए 16 पाकिस्तानी नागरिकों को उनके देश वापस भेज दिया गया. 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास की तरफ से आपातकालीन यात्रा सर्टिफिकेट जारी कर सभी पाकिस्तानियों को अपने देश भेज दिया गया है. BSF द्वारा उन्हें संयुक्त जांच चौकी पर पाकिस्तानी रेंजरों को सौप दिया है. वापस भेजे गए लोगों में पांच श्रीनगर जेल में, आठ जम्मू जेल में, 2 गुजरात के भुज जेल में और एक अमृतसर केंद्रीय कारागार में बंद थे. इन कैदियों पर जासूसी, संदिग्ध उग्रवादी गतिविधियों में लिप्त होने व भारतीय क्षेत्र में बिना पासपोर्ट और वीजा आने के आरोप थे.

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