जेनेवा: अफगानिस्तान स्थित खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र (UN) ने कहा कि पाकिस्तान से अफगान शरणार्थियों के अनुचित निष्कासन से बिना निवास परमिट वाले 1.4 मिलियन (14 लाख) से अधिक अफगान प्रभावित हो रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक इस कार्रवाई से कई लोगों को मानवाधिकार उल्लंघन का खतरा है। 27 अक्टूबर को, संयुक्त राष्ट्र ने ऐलान किया कि बिना दस्तावेज़ के दो मिलियन से अधिक अफगान पाकिस्तान में रह रहे हैं, जिनमें से कम से कम 600,000 लोग 15 अगस्त, 2021 को तालिबान द्वारा सत्ता पर कब्ज़ा करने के बाद अफगानिस्तान छोड़ चुके हैं। दरअसल, ये लोग इस आस में पाकिस्तान गए थे कि, मुस्लिम मुल्क होने के नाते ही पाकिस्तान उन्हें अपना लेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अधिकतर मुस्लिम देश भी अफगानी शरण देने को तैयार नहीं हैं। हालाँकि, ब्रिटेन कुछ लोगों को रखने के लिए तैयार है।
बता दें कि, पाकिस्तानी सरकार ने निवास दस्तावेजों के बिना रहने वाले अफगान प्रवासियों को अक्टूबर के अंत तक देश छोड़ने के लिए कहा है, अन्यथा उन्हें हिरासत में लिया जाएगा और निष्कासित कर दिया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, मानवाधिकार रक्षकों, नागरिक समाज कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, पूर्व सरकारी अधिकारियों और सुरक्षा बलों के सदस्यों को मानवाधिकार उल्लंघन का खतरा है। संयुक्त राष्ट्र ने अफ़ग़ान प्रवासियों को बाहर निकालने के परिणामों को लेकर चिंता व्यक्त की है। इसमें कहा गया है कि यदि उनमें से कई को निष्कासित किया जाता है, तो उन्हें मानवाधिकार उल्लंघन का सामना करना पड़ेगा, जिसमें तालिबान द्वारा मनमाने ढंग से हिरासत में रखना, यातना और अन्य अमानवीय व्यवहार शामिल है।
संयुक्त राष्ट्र ने जोर देकर कहा कि अफगानिस्तान में “तालिबान की घृणित नीतियों” के कारण महिलाओं और लड़कियों को माध्यमिक और उच्च शिक्षा और सामाजिक जीवन के अन्य पहलुओं से वंचित किया गया है और अगर उन्हें वापस भेजा गया तो उन्हें मानवाधिकार उल्लंघन का भी सामना करना पड़ेगा। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त और अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन ने कहा कि पाकिस्तान सरकार द्वारा समय सीमा दिए जाने के बाद से लगभग 60,000 अफगानी पाकिस्तान छोड़ चुके हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान वापस आने वाले 78 फीसदी लोगों ने पाकिस्तान छोड़ने की वजह गिरफ्तारी का डर बताया है।
उल्लेखनीय है कि, 26 अक्टूबर को, ब्रिटेन ने पाकिस्तान से 200 अफगान शरणार्थियों को लेने के लिए एक चार्टर उड़ान भरी, जिन्हें ब्रिटेन में शरण देने का वादा किया गया था। महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 3,250 अफगान शरणार्थी अभी भी पाकिस्तान से ब्रिटेन में स्थानांतरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं और ब्रिटिश सरकार वर्ष के अंत तक उन्हें स्थानांतरित करने के लिए चार्टर विमानों का उपयोग करने की योजना बना रही है। इस बीच, तालिबान के नेतृत्व वाले अफगानिस्तान के शरणार्थी और प्रत्यावर्तन मंत्रालय ने कहा है कि 5,000 से अधिक अफगान प्रवासी पाकिस्तान और ईरान से अपने देश लौट आए हैं।
तालिबान के नेतृत्व वाले मंत्रालय ने 26 अक्टूबर को ऐलान किया है कि पाकिस्तान और ईरान से लगभग 5,179 अप्रवासी अफगानिस्तान वापस आ गए। इस्लाम काला हेरात में तालिबान द्वारा नियुक्त सीमा अधिकारी के अनुसार, इन प्रवासियों में परिवारों सहित 3591 लोग जबरन और स्वेच्छा से अफगानिस्तान पहुंचे हैं। इसके अलावा, तालिबान के नेतृत्व वाले मंत्रालय ने कहा कि लगभग 1,585 अफगान प्रवासी 25 अक्टूबर को पाकिस्तान से स्पिन बोल्डक सीमा के माध्यम से जबरन अफगानिस्तान लौट आए। कुछ प्रवासियों को कमजोर के रूप में पहचाना गया, जिन्हें सहायता की आवश्यकता थी, उन्हें सहायता के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के पास भेजा गया था।
पाकिस्तान और ईरान में कई अफगान प्रवासियों को कानूनी निवास दस्तावेजों की कमी के कारण हिरासत में लिया गया है और अक्सर उन्हें अफगानिस्तान वापस भेज दिया जाता है। संयुक्त राष्ट्र और कुछ पश्चिमी देशों द्वारा अफगान प्रवासियों को निर्वासित करने से रोकने के बार-बार आह्वान के बावजूद पाकिस्तान और ईरान ने अफगान प्रवासियों को निर्वासित करना जारी रखा है।
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