भारत के खिलाफ चीन, पाकिस्तान और नेपाल के बाद अब भूटान ने भी भौंहें चढ़ा ली हैं. चीन के दबाव में असम के करीब भूटान ने भारतीय सीमा पर सिंचाई के लिए पानी छोड़ना बंद कर दिया है. इससे सीमावर्ती 25 गांवों के हजारों किसानों पर संकट आ गया है. गुवाहाटी में सूत्रों के अनुसार धान की रोपाई के लिए मानव निर्मित सिंचाई प्रणाली 'डोंग' को बाधित किए जाने के खिलाफ किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया है.इस सीमावर्ती क्षेत्र में भूटान और भारत के किसान इस सिंचाई प्रणाली का उपयोग वर्ष 1953 से करते आ रहे हैं.
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भूटान सरकार के पानी रोकने के बाद भारत के 25 सीमावर्ती गांवों के किसान बेहद परेशान हैं. जबकि भूटान ने दलील दी है, कि उसने यह कदम चीन के वुहान से फैली वैश्विक महामारी कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम के लिए यह कदम उठाया है. उन्होंने कहा कि भूटान की ओर से बहकर जाने वाले पानी का बहाव रोका गया है, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। भूटान ने अपने देश में विदेशी नागरिकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रखा है। वहीं, स्थानीय सूत्रों का कहना है कि भारतीय किसानों ने इस फैसले का विरोध करते हुए बताया कि वैश्विक महामारी की रोकथाम के सारे नियमों का पालन किया जाना चाहिए. ताकि कोरोना के संक्रमण से बचा जा सके. इसके लिए नहर का पानी रोकने की जरूरत नहीं है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि थिपू में भूटान सरकार के अखबार के संपादक तेंजिंग लांगसांग ने विवादित बयान देते हुए बताया कि भूटान ने भारत की ओर जाने वाले सिंचाई के सारे पानी को रोक लिया है. उन्होंने कई ट्वीट करते हुए कहा कि हर साल भूटान असम के किसानों को पानी का रुख मोड़ने देता था ताकि वह सिंचाई के लिए कुछ पानी जुटा सकें.
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