नई दिल्ली: अफ्रीकी देश सूडान गृह युद्ध से बुरी तरह जूझ रहा है। ऐसे में वहाँ फँसे भारतीय नागरिकों ने अपनी जान बचाने के लिए भारत सरकार से गुहार लगाई थी। इसको लेकर अब मोदी सरकार ने ‘ऑपरेशन कावेरी’ आरंभ कर दिया है। इसके तहत सूडान में फँसे भारतीयों को सकुशल स्वदेश वापस लाया जा रहा है। 500 से ज्यादा लोग भारत आने के लिए पोर्ट सूडान पहुँच गए हैं। जहाँ से वह भारत आने के लिए फ्लाइट पकड़ेंगे। बता दें कि, इससे पहले केंद्र सरकार कोरोना समय में विभिन्न देशों से भारतीयों को रेस्क्यू करने के लिए ऑपरेशन चला चुकी है, साथ ही अफ़ग़ानिस्तान में जब तालिबान ने सत्ता पर कब्ज़ा किया था, तब भी वहां से हिन्दुओं और सिख परिवारों को भारत लाया गया था। इस तरह का ऑपरेशन मोदी सरकार ने यूक्रेन युद्ध के दौरान भी चलाया था और एक-एक भारतीय को सुरक्षित भारत लाई थी।
Operation Kaveri gets underway to bring back our citizens stranded in Sudan.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) April 24, 2023
About 500 Indians have reached Port Sudan. More on their way.
Our ships and aircraft are set to bring them back home.
Committed to assist all our bretheren in Sudan. pic.twitter.com/8EOoDfhlbZ
बता दें कि, सूडान में गृह युद्ध सेना और अर्धसैनिक बल यानी मिलिट्री और पैरामिलिट्री के बीच संघर्ष के चलते शुरू हुआ है। निश्चित तौर पर सूडान में गृह युद्ध 15 अप्रैल 2023 से आरंभ हुआ। मगर, इसकी नींव 4 वर्ष पूर्व यानी साल 2019 में पड़ चुकी थी। दरअसल, अप्रैल 2019 में सेना ने लगभग 3 दशक से देश की सत्ता में काबिज राष्ट्रपति उमर अल बशीर को सत्ता से बेदखल कर दिया था। इसमें सेना का सहयोग देश में लोकतंत्र का समर्थन करने वाले लोगों ने विरोध प्रदर्शन कर किया। सेना ने सूडान में तख्तापलट तो कर दिया था। मगर, इसके बाद लोग सरकार में अपनी हिस्सेदारी की माँग करने लगे।
इसके बाद सूडान में सेना और देश के नागरिकों को मिलाकर नई सरकार गठित की गई। मगर, अक्टूबर 2021 में सेना ने तख्तापलट करते हुए पूरी सत्ता कब्ज़ा ली थी। इसके बाद से संप्रभु परिषद देश को चला रही है। इसमें सेना और अर्धसैनिक बल बराबरी की भूमिका में हैं। हालाँकि इस परिषद के प्रमुख यानि सरकार की बागडौर सूडान के सेना प्रमुख जनरल अब्देल फतह अल बुरहान के पास है। एक प्रकार से वह देश के राष्ट्रपति है। वहीं, इसके उपाध्यक्ष या उपराष्ट्रपति का पद अर्धसैनिक बल के अध्यक्ष जनरल मोहम्मद हमदान डगलो के पास है। मौजूदा सरकार, यानी सेना अर्धसैनिक बल का सेना में विलय करना चाहती थी। किन्तु, अर्धसैनिक बल इसके लिए राजी नहीं थे।
अर्धसैनिक बल का कहना था कि विलय का निर्णय 10 साल के लिए टाला जाए। वहीं, सेना 2 वर्षों के अंदर ही अर्धसैनिक बलों का सेना में विलय चाहती थी। इसी मुद्दे को लेकर सेना और अर्धसैनिक बलों में सघर्ष शुरू हो गया हैं। शुरुआत में ऐसा माना जा रहा था कि यह पूरा मामला आपसी बातचीत से हल हो जाएगा, मगर ऐसा नहीं हुआ। अब सूडान में सेना और अर्धसैनिक बल एक दूसरे के ठिकानों पर कब्जा करने के लिए एक-दूसरे का खून बहा रहे हैं। बता दें कि, सूडान में जारी हिंसा के कारण अब तक 413 लोगों की जान जा चुकी है। इसमें 9 बच्चे भी शामिल हैं। वहीं, 3551 लोग जख्मी हो गए हैं।
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